संवेदनशीलता, संतुलित रुख के साथ हो जीएसटी का क्रियान्वयन: एसबीआई रिसर्च
रमण अजय
- 22 Jul 2025, 07:28 PM
- Updated: 07:28 PM
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) जीएसटी को संवेदनशीलता और संतुलित रुख के साथ लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि यूपीआई लेनदेन मामले में आक्रामक जांच छोटे कारोबारियों को नकदी-आधारित अर्थव्यवस्था में वापस धकेल सकती है। एसबीआई रिसर्च ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह कहा।
कर्नाटक में छोटे व्यापारियों द्वारा जीएसटी नोटिस के कारण नकद लेनदेन को प्राथमिकता देने की खबरों के बीच यह रिपोर्ट आयी है।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में जीएसटी में उभरती चुनौतियों के प्रति आगाह करते हुए कहा गया है कि अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था ने अधिक जवाबदेही और राजस्व सृजन की नींव रखी है, लेकिन इसकी दीर्घकालीन सफलता छोटे व्यापारियों को दंडित करने के बजाय उनके सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने पर निर्भर करेगी।
वर्तमान में, 1.52 करोड़ से अधिक सक्रिय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण हैं।
रिपोर्ट में कई प्रमुख बातों का जिक्र है। इनमें महिलाओं की बढ़ती भागीदारी (पांच में से एक महिला करदाता है), शीर्ष पांच राज्यों का कुल जीएसटी करदाताओं में लगभग 50 प्रतिशत योगदान और जीएसटी लागू होने से महंगाई को कम करने में मदद मिलने की बात शामिल हैं।
रिपोर्ट में कर्नाटक में हाल के मामले का हवाला दिया गया है, जहां बेंगलुरु के कई छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) लेनदेन जैसे डिजिटल पहुंच के आधार पर काफी ज्यादा कर नोटिस मिले।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक यूपीआई-जीएसटी विवाद के बीच, राज्य के छोटे व्यापारी 23 जुलाई से तीन दिन के विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हालांकि, आर्थिक गतिविधियों की अधिक सटीक तस्वीर पेश करने और कर चोरी को कम करने का इरादा सराहनीय है, लेकिन इसे लागू करने संवेदनशीलता के साथ संतुलित होना चाहिए।’’
एसबीआई रिसर्च ने कहा, ‘‘जोखिम यह है कि अत्यधिक आक्रामक जांच छोटे कारोबारियों को असंगठित नकदी-आधारित अर्थव्यवस्था में वापस धकेल सकती है। इससे उन्हें संगठित क्षेत्र में लाने का मूल उद्देश्य ही कमजोर हो जाएगा।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि समावेश, पारदर्शिता और निष्पक्ष क्रियान्वयन, जीएसटी को सही मायने से लागू करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे और यह जीएसटी की आठवीं वर्षगांठ के साथ मेल खाता है। एक जुलाई, 2025 को, जीएसटी को लागू हुए आठ साल पूरे हो गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) व्यवस्था ने बाजार की गड़बड़ियों को दूर किया है और इसलिए, मुद्रास्फीति पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इसमें महिलाओं की भागीदारी के बारे में, कहा गया है कि पंजीकृत इकाइयों में 20 प्रतिशत में कम से कम एक महिला सदस्य है और 14 प्रतिशत ऐसी इकाइयां हैं जिसमें सभी सदस्य महिलाएं हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह आंकड़ा, कुल आयकरदाताओं में महिलाओं की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी और कुल जमा में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ, महिला सशक्तीकरण को दर्शाता है...।’’
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों में जीएसटी में काफी संभावनाएं हैं।
तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे कुछ बड़े और समृद्ध राज्यों में सक्रिय जीएसटी करदाताओं की हिस्सेदारी, कुल जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) में राज्य की हिस्सेदारी की तुलना में कम है।
वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों का कुल जीएसटी करदाताओं में हिस्सा, समग्र जीएसडीपी में राज्य के हिस्से से अधिक है।
भाषा रमण