धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने से अटकलों का बाजार गर्म
सुभाष प्रशांत
- 22 Jul 2025, 08:47 PM
- Updated: 08:47 PM
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) उपराष्ट्रपति पद से सोमवार रात जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं इसकी वजह “स्वास्थ्य को प्राथमिकता” देने के अलावा कुछ और भी तो नहीं है।
राज्यसभा के सभापति द्वारा अचानक लिये इस निर्णय के कारण सरकार स्थिति संभालने में जुट गई।
किसी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति के पद से हटने के बाद आमतौर पर उनकी जो प्रशंसा की जाती है, वह इस मौके पर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से देखने को नहीं मिली।
विपक्ष की ओर से हालांकि उनके बारे में अच्छे शब्द कहे गए। विपक्षी सदस्यों ने पिछले साल उनके कथित पक्षपात को लेकर उन्हें पद से हटाने के लिए एक नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे।
धनखड़ ने सोमवार को सदन को सूचित किया था कि उन्हें 63 विपक्षी सांसदों की ओर से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पद से हटाने के प्रस्ताव का नोटिस मिला है।
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए यह नोटिस इस कारण शर्मिंदगी का सबब बन गई कि यह पूरी तरह विपक्ष प्रायोजित कवायद थी।
वरिष्ठ मंत्रियों ने तुरंत हरकत में आते हुए भाजपा और उसके सहयोगी दलों के कई राज्यसभा सदस्यों से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवा लिए, जिसके बारे में कुछ सदस्यों ने कहा कि यह इसी तरह के नोटिस के लिए था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च सदन में इस कवायद के पीछे केवल विपक्षी सदस्य ही नहीं हैं।
कई अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं ने चुप्पी साधे रखी, जबकि कुछ ने कहा कि उन्हें विवरण की जानकारी नहीं है क्योंकि उन्होंने एक ऐसे कागज पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें मामले का विवरण नहीं था, जिससे यह अनुमान लगाया गया कि यह धनखड़ से संबंधित था।
कुछ वरिष्ठ नेताओं ने हालांकि, इस बात पर जोर दिया कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के नोटिस में राजग के सांसद भी शामिल हों।
कुछ विश्लेषकों ने कहा कि 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने से पहले एक वरिष्ठ वकील रहे धनखड़ ने कई मुद्दों पर न्यायपालिका को आड़े हाथ लिया था, जिनमें से नवीनतम न्यायमूर्ति वर्मा से जुड़ा मामला था और जब ऐसा प्रतीत हुआ कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में लाया जाना है, तो उन्होंने खुद को उपेक्षित महसूस किया होगा।
धनखड़ के साथ सरकार की कथित नाखुशी को दर्शाने वाला एक अन्य घटनाक्रम, राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू का सोमवार शाम 4.30 बजे कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक से अनुपस्थित रहना था। बीएसी की बैठक में विभिन्न दलों के सदस्य शामिल होते हैं और सदन के एजेंडे पर निर्णय लेते हैं।
धनखड़ की अध्यक्षता में यह बैठक इसलिए आयोजित की गई थी कि इससे पहले हुई बैठक में सदन के अंतिम एजेंडे पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था, जिसमें नड्डा और रीजीजू भी शामिल हुए थे।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह कयास लगाया कि दोपहर एक बजे से शाम 4.30 बजे के बीच कुछ गंभीर जरूर हुआ होगा, जिसकी वजह से नड्डा और रीजीजू ‘‘जानबूझकर’’ कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने दावा किया कि स्वाभाविक है कि यह बात धनखड़ को बिल्कुल पसंद नहीं आई होगी।
नड्डा ने संवाददाताओं से कहा कि वे दोनों आधिकारिक कामकाज में व्यस्त थे और उन्होंने राज्यसभा सभापति कार्यालय को इस बारे में सूचित कर दिया था।
कुछ भाजपा सदस्यों ने धनखड़ के उस फैसले की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को शून्यकाल के दौरान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार पर तीखा हमला करने की अनुमति दी थी, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन (राजग) पहले ही इस मुद्दे पर चर्चा की इच्छा व्यक्त कर चुका था।
सोमवार रात 9.25 बजे, धनखड़ (74) ने ‘‘स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने’’ के लिए इस्तीफे की घोषणा की थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके इस्तीफे पर एक संक्षिप्त पोस्ट किया। हालांकि, मंत्रियों या सत्तारूढ़ गठबंधन के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कोई टिप्पणी करने से परहेज किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।’’
लंबे समय से धनखड़ के कटु आलोचक रहे विपक्षी सांसद कपिल सिब्बल ने उन्हें एक राष्ट्रवादी और देशभक्त बताया।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वह चाहते हैं कि विपक्ष और सरकार मिलकर दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए काम करें।
कई नेताओं का मानना है कि धनखड़ और सरकार के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे, लेकिन इन मतभेदों के कारणों पर बहुत कम स्पष्टता है।
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