न्यायालय ने सीबीआई को बिल्डरों-बैंकों की सांठगांठ से जुड़े 22 मामले दर्ज करने की अनुमति दी
सुभाष पवनेश
- 22 Jul 2025, 09:19 PM
- Updated: 09:19 PM
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को एनसीआर में घर खरीदारों के साथ ठगी करने को लेकर बैंकों और रियल एस्टेट कंपनियों के बीच ‘‘सांठगांठ’’ के संबंध में 22 मामले दर्ज करने की मंगलवार को अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई को विभिन्न बिल्डरों और बैंकों के खिलाफ की गई छह प्रारंभिक जांच को प्राथमिकी के समान 22 नियमित मामलों में तब्दील करने की अनुमति दे दी, जिनमें आगे की जांच के लिए संज्ञेय मामले बने हैं।
जांच के दायरे में एनसीआर के बिल्डर और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के विकास प्राधिकरण शामिल हैं।
आर्थिक सहायता योजना के तहत, बैंक स्वीकृत राशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते हैं, जिन्हें स्वीकृत ऋण राशि पर ईएमआई (मासिक किस्त) का भुगतान करना होता है जब तक कि फ्लैट घर खरीदारों को नहीं सौंप दिए जाते।
बिल्डर जब बैंकों को किस्त का भुगतान नहीं करने लगे तो त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार, बैंकों ने घर खरीदारों से ईएमआई जमा करने को कहा।
पीठ ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, 1,000 से अधिक व्यक्तियों की जांच करने एवं 58 परियोजना स्थलों का दौरा करके मामले को अपने हाथ में लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी के प्रयासों की सराहना की तथा उसे शीघ्रता से जांच पूरी करने और मामले को उसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने को कहा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई द्वारा दर्ज सातवीं प्रारंभिक जांच, जो सुपरटेक लिमिटेड को छोड़कर विभिन्न बिल्डरों की परियोजनाओं से संबंधित है और एनसीआर क्षेत्र से बाहर मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली एवं इलाहाबाद में हैं, अब भी जारी है।
न्यायालय 1,200 से अधिक घर खरीदारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र, विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे। उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा न होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन पर ईएमआई का भुगतान करने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने 29 मार्च को, सीबीआई को एनसीआर क्षेत्र, यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बिल्डरों और परियोजनाओं के मामलों में पांच प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी।
इसने रियलिटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ एक प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ 799 घर खरीदारों ने आठ अलग-अलग शहरों में परियोजनाओं से जुड़ी 84 अपीलों के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया था।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत रिपोर्ट का अवलोकन किया, जिसमें सुझाव दिया गया था कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की ओर से संज्ञेय अपराध होने का पता लगाने के लिए मामलों की प्रारंभिक जांच के बाद, आगे की जांच के लिए 22 नियमित मामले दर्ज किए जाने आवश्यक हैं।
पीठ ने आदेश दिया, ‘‘हम सिफारिश स्वीकार करते हैं। सीबीआई नियमित मामले दर्ज करे और कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी।’’ साथ ही, सीबीआई को आगे के निर्देशों के लिए अदालत जाने की अनुमति दी।
पीठ ने एनसीआर के बाहर की परियोजनाओं पर सातवीं प्रारंभिक जांच के लिए एजेंसी को छह सप्ताह का समय दिया।
शीर्ष अदालत ने सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को निर्देश दिया कि वह सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट के कुछ हिस्से न्यायमित्र राजीव जैन को ‘‘आवश्यक समझे जाने पर’’ साझा करें।
न्यायालय ने सीबीआई को न्यायमित्र द्वारा दाखिल रिपोर्ट की जांच करने को कहा और इसे ‘‘आंखें खोलने वाली’’ बताया, जिसमें ‘रेरा’ (रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण) सहित विकास प्राधिकरणों के लेन-देन में पारदर्शिता की आवश्यकता और बेईमान बिल्डरों से घर खरीदारों के हितों की रक्षा के उपायों को रेखांकित किया गया है।
मामले की अगली सुनवाई 10 से 15 दिनों में होगी।
शीर्ष अदालत ने 29 अप्रैल को सीबीआई को सुपरटेक लिमिटेड सहित एनसीआर के अन्य बिल्डरों के खिलाफ सात प्रारंभिक जांच दर्ज करने का निर्देश दिया था।
भाषा सुभाष