‘विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट’ से उड़ानों के मार्ग परिवर्तन और रद्द करने के मामलों में कमी आई: अधिकारी
सुरभि नरेश
- 23 Jul 2025, 12:37 PM
- Updated: 12:37 PM
पुणे, 23 जुलाई (भाषा) विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (डब्ल्यूआईएफईएक्स) के तहत सटीक पूर्वानुमानों से एयरलाइन कंपनियों को महत्वपूर्ण लाभ हुए हैं, जिसमें उड़ानों के मार्ग परिवर्तन और उड़ानों को रद्द करने के मामलों में कमी आई है।
अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रयोग से एयरलाइन कंपनियों का आर्थिक नुकसान और यात्रियों को होने वाली असुविधा भी कम हुई है।
अधिकारियों ने मंगलवार को यहां बताया कि दशक भर के इस प्रयोग के आंकड़ों का उपयोग करके एक पूर्वानुमान मॉडल विकसित किया गया है जो अब कोहरे से संबंधित किसी भी घटना का कम से कम 18 घंटे पहले पूर्वानुमान लगा सकता है और कोहरे की तीव्रता एवं उसके छंटने के समय का भी अनुमान लगा सकता है।
उन्होंने बताया कि 2015 की सर्दियों में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, नयी दिल्ली पर शुरू किए गए डब्ल्यूआईएफईएक्स ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उत्तर भारत के घने शीतकालीन कोहरे और दैनिक जीवन एवं विमानन सुरक्षा पर इसके प्रभाव को जानने से संबंधी अनुसंधान के 10 सफल वर्ष पूरे हुए।
अधिकारियों के अनुसार, इस सफलता के आधार पर डब्ल्यूआईएफईएक्स अब अपने अगले चरण ‘डब्ल्यूआईएफईएक्स-2’ में प्रवेश कर रहा है, जो उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के और अधिक हवाई अड्डों तक विस्तार करते हुए कोहरे के पूर्वानुमान में सहायक होगा।
उन्होंने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के तहत भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के नेतृत्व में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र के समर्थन से वाईएफईएक्स दुनिया के कुछ दीर्घकालिक खुले क्षेत्र के प्रयोगों में से एक है जो पूरी तरह से कोहरे पर केंद्रित है। सर्दियों के दौरान कोहरे छा जाने के कारण अक्सर सिंधु-गंगा के मैदानी क्षेत्र में हवाई, रेल और सड़क परिवहन बाधित होता है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने आईआईटीएम में पत्रकारों से कहा कि वाईएफईएक्स का मुख्य उद्देश्य उच्च-गुणवत्ता वाले अवलोकन डेटा उपलब्ध कराना है ताकि एक विश्वसनीय ‘उच्च-रिजॉल्यूशन’ कोहरा पूर्वानुमान मॉडल विकसित किया जा सके जो विमानन और परिवहन क्षेत्रों को घने कोहरे के विनाशकारी प्रभावों का प्रबंधन करने में मदद कर सके।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में एकत्रित व्यापक क्षेत्रीय अवलोकनों के आधार पर आईआईटीएम ने एक उन्नत संभाव्य उच्च-रिजॉल्यूशन कोहरा पूर्वानुमान प्रणाली विकसित की है जिसकी उत्तर भारत के हवाई अड्डों और आसपास के क्षेत्रों के लिए कोहरे की शुरुआत, तीव्रता, बर्बाद हुए समय और अवधि का पूर्वानुमान लगाने में 85 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली दक्षता दर है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत के सबसे व्यस्त और कोहरे से सबसे अधिक प्रभावित हवाई अड्डे, आईजीआईए से शुरू हुआ यह नेटवर्क अब एक मजबूत अवलोकन नेटवर्क के रूप में विकसित हो गया है जो नोएडा के जेवर हवाई अड्डे और हरियाणा के हिसार तक पहुंच रहा है और पूरे उत्तर भारत के प्रमुख विमानन गलियारों को कवर करता है।’’
डॉ. रविचंद्रन ने कहा, ‘‘वाईएफईएक्स के तहत तैयार किए गए सटीक पूर्वानुमानों से एयरलाइनों को महत्वपूर्ण परिचालन लाभ मिला है, जिसमें उड़ानों के मार्ग परिवर्तन और परिचालन रद्द करने के मामलों में कमी शामिल है, जिससे आर्थिक नुकसान और यात्रियों को होने वाली असुविधा कम हुई है।’’
भाषा सुरभि