तेजस्वी और नीतीश के बीच तीखी बहस के बाद बिहार विधानसभा की कार्यवाही बाधित
खारी देवेंद्र
- 23 Jul 2025, 02:46 PM
- Updated: 02:46 PM
पटना, 23 जुलाई (भाषा) बिहार विधानसभा में बुधवार को उस समय नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला जब विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) संबंधी बयान के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप से तीखी बहस शुरू हो गई।
सदन की कार्यवाही पूर्वाह्न 11 बजे शुरू हुई लेकिन हंगामा बढ़ने पर विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने 30 मिनट बाद ही इसे अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
यादव ने असंसदीय भाषा के इस्तेमाल को लेकर कई विपक्षी नेताओं के प्रति नाराजगी जाहिर की और बार-बार अनुरोध के बावजूद शांत नहीं होने पर सत्तापक्ष के सदस्यों की भी आलोचना की।
राज्य में निर्वाचन आयोग की कवायद के विरोध में काली टी-शर्ट पहनकर पहुंचे विपक्ष के नेता को विधानसभा अध्यक्ष ने एसआईआर के मुद्दे पर बयान देने की अनुमति दी।
इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को भी सदन के अंदर और बाहर प्रदर्शन किए गए थे।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता को बोलने देने से पहले विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कल कुछ बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं। सदन के कुछ कर्मचारी भी घायल हुए। कृपया सुनिश्चित करें कि आज ऐसा कुछ न हो।’’
यादव ने कहा, ‘‘हम विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोधी नहीं हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग जिस तरह से इस प्रक्रिया को लागू कर रहा है, वह आपत्तिजनक है। जब चुनाव नजदीक हैं तो इतनी देर क्यों? वे इसे कुछ महीने पहले भी कर सकते थे।’’
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य में केवल दो-तीन प्रतिशत मतदाताओं के पास ही वे दस्तावेज हो सकते हैं जिन्हें निर्वाचन आयोग दिखाने के लिए कह रहा है। यह फर्जी मतदाताओं का डर आखिर है क्या? क्या निर्वाचन आयोग यह कहना चाहता है कि इन फर्जी मतदाताओं ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया है? निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में भी कहीं यह नहीं कहा कि मतदाता सूची में कोई विदेशी नागरिक शामिल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के लगभग 4.5 करोड़ ऐसे लोग का क्या होगा जो कहीं और काम करते हैं और चुनाव के समय वोट डालने के लिए आते हैं? निर्वाचन आयोग ने उन लोगों के नाम काटने की चेतावनी दी है जो अपने पंजीकृत पते पर नहीं पाए गए।’’
इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति दिए जाने से नाखुश दिख रहे मुख्यमंत्री अपनी सीट पर खड़े होकर हस्तक्षेप करने लगे।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी आप बच्चे हो। ऐसे मामलों की कोई जानकारी नहीं है। सदन के इस आखिरी सत्र के केवल तीन दिन बचे हैं। विधायी कार्य करने दीजिए। आपको जो भी बेवजह की बातें करनी है, चुनाव के दौरान जी भरकर करिएगा।’’
नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘जब आपके (यादव के) माता-पिता मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कुछ नहीं किया, न महिलाओं के लिए, न मुसलमानों के लिए, न ही समाज के किसी अन्य वर्ग के लिए। एकमात्र महिला जिसे कुछ मिला, वह आपकी मां थीं।’’
सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के कैबिनेट सहयोगी उन्हें सीट पर बैठने के लिए मनाने की कोशिश में उनकी आस्तीन खींचते देखे गए।
जब तक नीतीश कुमार बैठे, विपक्ष के कई सदस्य खड़े हो गए और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच नोकझोंक शुरू हो गई।
राजद विधायक भाई वीरेंद्र के कथित तौर पर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने पर विधानसभा अध्यक्ष नाराज हो गए।
उन्होंने विपक्ष के नेता से कहा, ‘‘मैंने आपको बयान देने की अनुमति दी है। मैं आपके पक्ष के अन्य सदस्यों को भी बोलने दे रहा हूं, लेकिन आपको पहले भाई वीरेंद्र से माफी मंगवानी होगी।’’
सत्ता पक्ष की ओर मुड़ते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने जब उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को चिल्लाते देखा तो उन्होंने हैरानी जताई क्योकि विजय कुमार खुद विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं है कि आप उपमुख्यमंत्री होते हुए भी इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं और फिर कार्यवाही को दोपहर भोज तक स्थगित कर दिया।
भाषा खारी