बीसीसीआई सहित खेल संघों में अधिक पारदर्शिता के प्रावधान वाला विधेयक लोकसभा में पेश
वैभव माधव
- 23 Jul 2025, 04:13 PM
- Updated: 04:13 PM
नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) समेत राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) के बेहतर प्रशासन एवं गुटबाजी को रोकने तथा उनके लिए नियम बनाने के उद्देश्य से एक बोर्ड के गठन के प्रावधान वाला विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किया गया।
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने ‘राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, 2025’ सदन में पेश किया, जिसमें पारदर्शिता के लिए एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड के गठन का प्रावधान है। सभी एनएसएफ को केंद्र सरकार से वित्तपोषण प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) की मान्यता प्राप्त करनी होगी।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच विधेयक पुर:स्थापित करते हुए मांडविया ने कहा कि यह विधेयक खेलों के विकास और संवर्द्धन, ओलंपिक और खेल संचालन की नैतिकता तथा निष्पक्षता सुनिश्चित करने और खेल विवादों के समाधान के लिए लाया गया है।
विधेयक में एक राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण के गठन का भी प्रावधान है जिसके पास एक दीवानी अदालत के अधिकार होंगे और वह संघों और खिलाड़ियों के चयन और चुनाव से संबंधित विवादों में फैसला लेगा। न्यायाधिकरण के निर्णय को केवल उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है, ‘‘ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल 2036 से संबंधित बोली लगाने की तैयारियों के एक भाग के रूप में, यह आवश्यक है कि खेल प्रशासन परिदृश्य में सकारात्मक परिवर्तन हों, जिससे बेहतर परिणाम, खेल उत्कृष्टता और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन में सहायता मिले।’’
इस विधेयक के कानून बनने के बाद सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल संस्थाएं भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में आएंगी, जिसका बीसीसीआई ने कड़ा विरोध किया है, क्योंकि वह सरकारी धन पर निर्भर नहीं है।
खेल मंत्रालय का कहना है कि 2028 के लॉस एंजिलिस गेम्स रोस्टर में क्रिकेट को शामिल किए जाने के बाद से ओलंपिक का हिस्सा होने के चलते बीसीसीआई को विधेयक के अधिनियमित होने के बाद इसके प्रावधानों का पालन करना होगा।
एनएसबी में एक अध्यक्ष और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त सदस्य होंगे।
हितधारकों और सार्वजनिक इनपुट के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किए गए मसौदा विधेयक के अनुसार, ये नियुक्तियां एक खोज-सह-चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाएंगी।
चयन समिति में कैबिनेट सचिव या खेल सचिव अध्यक्ष होंगे, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, दो खेल प्रशासक, जो किसी राष्ट्रीय खेल निकाय के अध्यक्ष, महासचिव या कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हों, और एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी जो द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार विजेता हों, सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया है, ‘‘खेल निकायों के प्रशासन में सुधार लाने, खेलों में बेहतर परिणाम प्राप्त करने तथा खेल महासंघों से जुड़े विवादों और मुकदमों को कम करने के लिए एक व्यापक कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘गुटबाजी और प्रशासनिक हस्तक्षेप पर अंकुश लगाना अत्यावश्यक है, क्योंकि इससे भारत में खेलों और संबंधित गतिविधियों के संगठित विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय के समक्ष इसकी बेहतर प्रस्तुति भी आवश्यक है।’’
विधेयक में राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल का भी प्रावधान है, जिसमें भारत निर्वाचन आयोग या राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व सदस्य या राज्यों के पूर्व मुख्य निर्वाचन अधिकारी या उप निर्वाचन आयुक्त शामिल होंगे।
भाषा वैभव