एफटीए से ब्रिटेन को जेनेरिक दवाओं, चिकित्सा उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा
निहारिका अजय
- 24 Jul 2025, 04:19 PM
- Updated: 04:19 PM
(तस्वीर के साथ)
नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) ब्रिटेन के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत शून्य शुल्क पर सहमति के बाद भारत के जेनेरिक दवाओं और चिकित्सकीय उपकरणों जैसे एक्स-रे सिस्टम और सर्जिकल उपकरणों के निर्यात को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर की उपस्थिति में बृहस्पतिवार को लंदन में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते का यह हिस्सा है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ सर्जिकल उपकरण, जांच में उपयोग (डायग्नोस्टिक) वाले उपकरण, ईसीजी मशीन, एक्स-रे सिस्टम जैसे चिकित्सकीय उपकरणों के एक बड़े हिस्से पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।’’
उन्होंने कहा कि इससे भारतीय चिकित्सकीय-प्रौद्योगिकी कंपनियों की लागत कम होगी और उनके उत्पाद ब्रिटेन के बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ यूरोपीय संघ छोड़ने (ब्रेक्जिट) और कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद ब्रिटेन के चीनी आयात पर निर्भरता से दूर होने के मद्देनजर भारतीय विनिर्माता एक पसंदीदा, लागत प्रभावी विकल्प बनने के लिए तैयार हैं खासकर चिकित्सकीय उपकरणों के लिए शून्य-शुल्क मूल्य निर्धारण के साथ...’’
मंत्रालय ने कहा कि एफटीए के तहत शून्य शुल्क प्रावधानों से ब्रिटेन के बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जो यूरोप में भारत का सबसे बड़ा दवा निर्यात गंतव्य बना हुआ है।
भारत वैश्विक स्तर पर दवा क्षेत्र के तहत 23.31 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है और ब्रिटेन करीब 30 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात करता है। हालांकि, ब्रिटेन के आयात में भारतीय दवा क्षेत्र का योगदान एक अरब डॉलर से कम है, जो विकास की पर्याप्त गुंजाइश दर्शाता है।
दस्तावेज के अनुसार, दवा क्षेत्र में केवल 56 शुल्क श्रेणियां हैं, जो कुल शुल्क श्रेणियों का केवल 0.6 प्रतिशत है। इसके बावजूद दवा क्षेत्र आमतौर पर खासकर वैश्विक व्यापार में उच्च मूल्य और रणनीतिक महत्व रखता है।
भारतीय दवा उद्योग मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के मामले में 14वां सबसे बड़ा उद्योग है।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय दवा निर्यात सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़कर 30.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
यह उद्योग पिछले 30 वर्षों में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं बनाने में अग्रणी बन गया है। भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसकी वैश्विक आपूर्ति में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है और यह 60 चिकित्सीय श्रेणियों में 60,000 विभिन्न जेनेरिक ब्रांड पर काम कर रहा है।
भारतीय उत्पाद दुनियाभर के 200 से अधिक देशों में भेजे जाते हैं, जिनमें जापान, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी यूरोप और अमेरिका मुख्य गंतव्य हैं।
भारत में चिकित्सकीय उपकरण क्षेत्र का वर्तमान बाजार आकार 11 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और 2030 तक इसके 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
भाषा निहारिका