जद(यू) ने एसआईआर की आलोचना करने को लेकर सांसद गिरधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया
सुभाष पवनेश
- 24 Jul 2025, 06:43 PM
- Updated: 06:43 PM
नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) जनता दल (यूनाइटेड) ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण(एसआईआर) की आलोचना करने को लेकर बृहस्पतिवार को अपने सांसद गिरिधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया और कहा कि उन्होंने न केवल पार्टी को शर्मसार किया, बल्कि विपक्ष के ‘‘निराधार और राजनीति से प्रेरित’’ आरोपों को भी विश्वसनीयता प्रदान की है।
जद(यू) महासचिव अफाक अहमद खान ने बांका के सांसद से 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है, अन्यथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, यादव अपने रुख पर अड़े हुए हैं और कहा कि एक सांसद के तौर पर उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों से मिली प्रतिक्रिया को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं कारण बताओ नोटिस का जवाब दूंगा। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते, मैं खुद के द्वारा कही गई बात से पीछे नहीं हट सकता। मैंने केवल निर्वाचन आयोग और उसकी इस (एसआईआर) कवायद के बारे में बात की है।’’
नोटिस में खान ने कहा, ‘‘जनता दल(यूनाइटेड) आपके आचरण को अनुशासन में चूक मानता है और यह इस विषय पर पार्टी के घोषित रुख के अनुरूप नहीं है।’’
भाजपा के प्रमुख सहयोगी दल जद(यू) ने राज्य में जारी एसआईआर का पुरजोर बचाव किया है, जबकि विपक्षी दल इस कवायद का एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं और वे आरोप लगा रहे हैं कि एसआईआर (बिहार में) सत्तारूढ़ गठबंधन को लाभ पहुंचाने के लिए की जा रही है।
यादव ने बुधवार को एसआईआर का विरोध किया और कहा था कि इससे पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर सवाल उठेंगे।
उन्होंने सवाल किया है कि अगर मतदाता सूची लोकसभा चुनाव के लिए सही थी, तो कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए यह गलत कैसे हो सकती है? उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसआईआर के लिए कम से कम छह महीने का समय देना चाहिए और यह कवायद गर्मी के महीनों में करानी चाहिए थी।
उन्होंने आयोग पर राज्य और उसके लोगों के प्रति अनभिज्ञ होने का भी आरोप लगाया।
यादव ने कहा था, ‘‘लोग अभी धान की खेती में व्यस्त हैं। अब उन्हें सभी प्रकार के दस्तावेज़ ढूंढ़ने होंगे और अधिकारियों के पास जमा करने होंगे। उन्हें बहुत परेशानी हो रही है।’’
जद(यू) सांसद को जारी नोटिस में खान ने कहा, ‘‘आप अच्छी तरह से जानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण का आदेश दिया है।’’
उन्होंने कहा कि अपने चुनावी नतीजों से ‘‘हताश’’ विपक्षी दल, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर, निर्वाचन आयोग को बदनाम करने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं और इसका एकमात्र उद्देश्य एक संवैधानिक संस्था की कार्यप्रणाली पर जनता में संदेह पैदा करना है।
उन्होंने कहा कि जद(यू) ने ‘इंडिया’ गठबंधन में रहने और अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के हिस्से के रूप में, निर्वाचन आयोग तथा ईवीएम का निरंतर समर्थन किया है।
खान ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, ऐसे संवेदनशील मामले पर आपकी सार्वजनिक टिप्पणी, विशेष रूप से चुनावी वर्ष में, न केवल पार्टी के लिए शर्मिंदगी का सबब बनी है, बल्कि विपक्ष द्वारा लगाए गए निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों को अनजाने में विश्वसनीयता भी प्रदान करती है।"
भाषा सुभाष