डॉलर के मुकाबले रुपया स्थिर रुख के साथ बंद
राजेश राजेश अजय
- 24 Jul 2025, 08:44 PM
- Updated: 08:44 PM
मुंबई, 24 जुलाई (भाषा) वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की धारणा और कच्चे तेल की कीमतों के रातोंरात मजबूत होने से निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया अपनी शुरुआती बढ़त गंवा बैठा और एक पैसे की मामूली बढ़त के साथ 86.40 पर लगभग अपरिवर्तित बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता, विदेशी मुद्रा बाजार पर भारी पड़ रही है, जिससे रुपया सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है। इसके अलावा, घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख और विदेशी पूंजी की निकासी ने भी निवेशकों की धारणा प्रभावित किया। इससे रुपये का लाभ सिमट गया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, डॉलर के मुकाबले रुपया 86.33 पर खुला। इसने कारोबार के दौरान 86.24 के उच्चतम और 86.43 के निचले स्तर को छुआ।
बृहस्पतिवार के कारोबारी सत्र के अंत में, रुपया 86.40 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से मात्र एक पैसे की तेजी है।
बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया तीन पैसे की गिरावट के साथ 86.41 पर बंद हुआ था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘लगातार छह दिनों की गिरावट के बाद, भारतीय रुपये में डॉलर के मुकाबले स्थिरता देखी गई, जिसका मुख्य कारण डॉलर के सौदों की लंबे समय से हो रही कटान है। इस स्थिरता के बावजूद, रुपया अपने एशियाई समकक्षों के बीच औसत प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बनी हुई है, जबकि प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हुआ है।’’
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.16 प्रतिशत बढ़कर 97.36 पर पहुंच गया, क्योंकि निवेशक एक अगस्त की समयसीमा से पहले भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर नज़र बनाए हुए हैं।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘थाइलैंड और कंबोडिया के बीच भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच हमारा अनुमान है कि रुपया थोड़े नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी भी रुपये पर दबाव डाल सकती है।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘अमेरिका-यूरोपीय संघ व्यापार समझौते को लेकर उम्मीद और कमजोर अमेरिकी डॉलर निचले स्तर पर रुपये को सहारा दे सकते हैं। कारोबारी अमेरिका से नए घरों की बिक्री के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं और इस सप्ताह अमेरिका से पीएमआई और टिकाऊ माल के ऑर्डर के आंकड़ों से पहले सतर्क रह सकते हैं। डॉलर-रुपये की हाजिर कीमत 86.10 से 86.75 के बीच रह सकती है।’’
यदि वार्ता विफल हो जाती है या इसमें देरी होती है, तो भारतीय निर्यातकों पर नए दबाव पड़ सकते हैं - जिससे रुपये की चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।
हालांकि, यदि कोई समझौता हो जाता है, तो यह एक बहुत ज़रूरी राहत प्रदान कर सकता है। तब तक, अनिश्चितता के कारण बाजार सहभागी सतर्क रह सकते हैं।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.18 प्रतिशत बढ़कर 69.32 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता के लिए अमेरिकी दल अगस्त में भारत आएगा।
भारत और अमेरिका के दलों ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में समझौते के लिए पाँचवें दौर की वार्ता पूरी की।
इस बीच, घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 542.47 अंक टूटकर 82,184.17 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 157.80 अंक फिसलकर 25,062.10 पर आ गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बृहस्पतिवार को शुद्ध आधार पर 2,133.69 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा राजेश राजेश