भारत के लिए संघर्ष करने उतरे चोटिल पंत
नमिता सुधीर
- 24 Jul 2025, 09:18 PM
- Updated: 09:18 PM
मैनचेस्टर, 24 जुलाई (भाषा) ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में भारतीय ड्रेसिंग रूम की बाहरी सीढ़ियों से सावधानी से उतरते हुए विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत किसी चोटिल ‘ग्लेडिएटर’ से कम नहीं लग रहे थे।
मैदान में मौजूद ज्यादातर दर्शकों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया।
भारतीय क्रिकेट की लोककथाओं में अनिल कुंबले का टूटे जबड़े में पट्टी बंधे होने के बावजूद वेस्टइंडीज के खिलाफ 2002 में गेंदबाजी करना दर्ज है और ओल्ड ट्रैफर्ड में दूसरे दिन सुबह पैर में फ्रैक्चर के बावजूद पंत का लड़खड़ाते हुए बल्लेबाजी के लिए उतरना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में साहस के यादगार पलों में आसानी से शामिल हो सकता है।
ठीक वैसे ही जैसे 1984 में हेडिंग्ले में मैल्कम मार्शल ने अपने बाएं हाथ में दो फ्रैक्चर के साथ बल्लेबाजी और गेंदबाजी की थी।
जब पंत को मुख्य कोच गौतम गंभीर से बात करते देखा गया तो दर्द साफ दिख रहा था। ऐसा नहीं लगा कि वह बल्लेबाजी के लिए उतरेंगे।
पहले से ही फ्रैक्चर वाले पैर के साथ बल्लेबाजी के लिए उतरना बड़ा दांव था। लेकिन अगर कोई दांव नहीं है तो पंत भी नहीं है।
कोई भी आशावादी व्यक्ति यह दांव नहीं लगाएगा कि दाहिने पैर में चोट लगने के 24 घंटे से भी कम समय बाद पंत मैदान पर उतरेंगे, लेकिन उन्होंने मैदान पर मौजूद हर किसी को हैरत में डाल दिया। दर्शकों ने पंत के साहस को देखते हुए खड़े होकर तालियां बजाई गईं।
रात में 37 रन पर ‘रिटायर्ड हर्ट’ होने वाले पंत के लिए भागकर एक एक रन लेना मुश्किल हो रहा था। लेकिन उनके अंदर का योद्धा उन्हें आगे बढ़ाता रहा। उन्होंने अर्धशतक पूरा किया जिसे 25 साल बाद जब वह पीछे मुड़कर देखेंगे तो उन्हें अपने आठ टेस्ट शतकों जितना ही प्रभावशाली लगेगा।
आउटफील्ड में जब वह दूसरे छोर तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे थे तो वीरता का एक और कारनामा याद आया जब कुंबले ने 2002 में एंटीगुआ में वेस्टइंडीज के खिलाफ टूटे जबड़े के साथ लगातार 14 ओवर गेंदबाजी की थी और इस दौरान महान ब्रायन लारा को आउट किया था।
कुंबले ने सर्जरी के लिए बेंगलुरू वापस जाने से पहले कहा था, ‘‘कम से कम अब मैं इस सोच के साथ घर जा सकता हूं कि मैंने अपनी पूरी कोशिश की। ’’
दिसंबर 2022 में एक भयानक कार दुर्घटना में चमत्कारिक रूप से बच जाना और उसके बाद खेल में सफल वापसी करना ही पर्याप्त नहीं था कि पंत फ्रेक्चर के बावजूद बल्लेबाजी करके क्रिकेट के प्रेरक इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा बन गए।
पूरी संभावना है कि पंत श्रृंखला में आगे हिस्सा नहीं लेंगे। लेकिन बृहस्पतिवार को खेल के प्रति अपनी अनुकरणीय प्रतिबद्धता और मैच में अंतिम प्रभाव डालने की इच्छा दिखाई।
पंत ने जोफ्रा आर्चर की गेंद पर मिड विकेट और स्क्वायर लेग के बीच से छक्का जड़ा और फिर बेन स्टोक्स पर कवर के ऊपर से चौका लगाकर यादगार अर्धशतक जड़ा जिससे खचाखच भरे स्टेडियम में एक और बार खड़े होकर तालियां बजीं।
जब आर्चर ने आखिरकार पंत को आउट किया तो उनकी इस साहसिक पारी का महत्व विपक्षी टीम पर भी साफ दिखाई दिया और जो रूट ने इस भारतीय खिलाड़ी की इस बहादुरी भरी कोशिश के लिए उनकी पीठ थपथपाई।
भाषा नमिता