भारत-ब्रिटेन के ऐतिहासिक व्यापार समझौते के प्रमुख बिंदु
प्रेम रमण
- 25 Jul 2025, 03:37 PM
- Updated: 03:37 PM
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) भारत और ब्रिटेन ने 24 जुलाई को एक व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए जिसे भारत का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता माना जा रहा है।
शुल्क से लेकर प्रौद्योगिकी तक 26 क्षेत्रों को कवर करने वाले इस मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का लक्ष्य दोनों देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को 56 अरब डॉलर के मौजूदा स्तर से दोगुना कर 112 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
यह समझौता वाहनों के आयात शुल्क में कटौती और व्यापार एवं महिला-पुरुष समानता जैसे कई ऐसे प्रावधानों को शामिल करता है, जिन पर भारत ने पहली बार सहमति व्यक्त की है।
यहां पर समझौते से संबंधित विभिन्न बिंदुओं को आसान शब्दों में समझने की कोशिश करेंगे।
समझौते से भारत को लाभ--- एफटीए के तहत 6.5 अरब डॉलर यानी 45 प्रतिशत भारतीय निर्यातों (वस्त्र, जूते, कालीन, वाहन, समुद्री भोजन, अंगूर एवं आम जैसे उत्पाद) को ब्रिटेन में शुल्क-मुक्त प्रवेश मिलेगा।
पहले इन पर चार प्रतिशत से लेकर 16 प्रतिशत तक शुल्क लगता था। शेष आठ अरब डॉलर के उत्पाद (पेट्रोलियम, दवा, हीरे और विमान के पुर्जे) को पहले से ही शून्य शुल्क पर पहुंच हासिल है। ब्रिटेन ने चावल जैसे कुछ कृषि उत्पादों को छोड़कर सभी भारतीय वस्तुओं पर शुल्क समाप्त करने पर सहमति जताई है।
समझौते से ब्रिटेन को लाभ--- ब्रिटेन से भारत को होने वाले 8.6 अरब डॉलर के निर्यात पर 94 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं पर शुल्क लगता है। इस समझौते में भारत 90 प्रतिशत ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क समाप्त कर देगा। साल्मन मछली, मेमने, विमान के पुर्जे, मशीनरी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे 64 प्रतिशत ब्रिटिश सामान पर तुरंत शुल्क हट जाएगा।
चॉकलेट, शीतल पेय, सौंदर्य प्रसाधन और वाहन कलपुर्जे जैसी 26 प्रतिशत वस्तुओं पर अगले 10 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से शुल्क हटाया जाएगा। भारत चिकित्सा उपकरणों से भी शुल्क हटाएगा। चांदी पर शुल्क 10 वर्षों में शून्य कर दिया जाएगा।
वाहन क्षेत्र में शुल्क रियायतें-- भारत ने पहली बार अपने एफटीए में वाहन क्षेत्र के लिए शुल्क रियायतें दी हैं। इस वजह से आगे चलकर जापान, यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया और अमेरिका से भी ऐसी मांगें उठने की संभावना है। भारत ने ब्रिटिश यात्री कारों के लिए एक समर्पित शुल्क दर कोटा तय किया है। बड़े इंजन वाली पेट्रोल एवं डीजल कारों पर भारत ने वर्तमान 100 प्रतिशत से अधिक शुल्क को 15 वर्षों में 10 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। मध्यम आकार की कारों और छोटी कारों के लिए भी इसी तरह की शुल्क कटौती होगी।
शराब क्षेत्र को शुल्क रियायत--- भारत ने ब्रिटिश मूल के शराब उत्पादों जैसे व्हिस्की, ब्रांडी, रम, वोदका और टकीला पर शुल्क कटौती की सहमति दी है। इन पर अभी 150 प्रतिशत का मूल सीमा शुल्क लगता है, जिसे न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) पर खरा उतरने की स्थिति में 10वें साल तक घटाकर 75 प्रतिशत तक कर दिया जाएगा।
जिन उत्पादों पर कोई शुल्क कटौती नहीं-- भारत ने कई बेहद संवेदनशील कृषिउत्पादों को किसी भी शुल्क कटौती से अलग रखा है। इनमें ताजे सेब, अखरोट, मट्ठा, चीज़, और विशिष्ट बीज श्रेणियां, सोने की छड़ें और स्मार्टफोन शामिल हैं। वहीं ब्रिटेन ने विभिन्न मांस उत्पाद, अंडे-आधारित वस्तुएं, कूटे चावल, और गन्ना या चुकंदर से बनी शक्कर को इस सूची में रखा है।
सरकारी खरीद के प्रावधान--- भारत ने ब्रिटेन के आपूर्तिकर्ताओं को सरकारी खरीद अध्याय में अभूतपूर्व बाजार पहुंच दी है। भारत पहली बार परिवहन, हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों से लगभग 40,000 बड़े अनुबंधों को ब्रिटिश बोलीदाताओं के लिए खोलेगा।
बौद्धिक संपदा अधिकार--- भारत ने एफटीए में ऐसी भाषा स्वीकार की है जो आपात स्थिति में जीवन-रक्षक प्रौद्योगिकियों तक पहुंच के लिए अनिवार्य लाइसेंस जारी करने की अपनी क्षमता को सूक्ष्म रूप से कम करती है।
सेवा क्षेत्र--- भारत ने ब्रिटिश कंपनियों के लिए अपनी सेवा अर्थव्यवस्था के प्रमुख खंडों को खोला है जिनमें लेखा, ऑडिटिंग, वित्तीय सेवाएं, दूरसंचार, पर्यावरणीय सेवाएं और सहायक हवाई परिवहन शामिल हैं। ब्रिटेन ने कंप्यूटर सेवाओं, परामर्श और पर्यावरणीय सेवा क्षेत्रों में वाणिज्यिक उपस्थिति अधिकार दिए हैं। इसने योग प्रशिक्षकों और शास्त्रीय संगीतकारों के लिए 1,800 वीजा का वार्षिक कोटा भी रखा है।
दोहरा अंशदान समझौता--- ब्रिटेन में अल्पावधि कार्य में लगे 75,000 से अधिक भारतीय श्रमिकों को बिना दोहरे योगदान के भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली में भुगतान जारी रखने की अनुमति देता है।
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