केरल सरकार बताए, किन कारणों से काला जादू कानून टाला गया : उच्च न्यायालय
धीरज नरेश
- 25 Jul 2025, 09:11 PM
- Updated: 09:11 PM
कोच्चि, 25 जुलाई (भाषा)केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि वे कौन से कानूनी और संवैधानिक मुद्दे थे जिनके कारण मंत्रिमंडल को काला जादू, तंत्र-मंत्र और अन्य अमानवीय प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित कानून पर चर्चा स्थगित करनी पड़ी।
मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति बसंत बालाजी की पीठ ने यह स्पष्टीकरण तब मांगा जब राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि प्रस्तावित कानून को केवल टाला गया है और वह इस विषय से पीछे हटने का इरादा नहीं रखती है, जो अभी सक्रिय रूप से विचाराधीन है।
सरकार ने अदालत को बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने जटिल कानूनी और संवैधानिक मुद्दों के कारण प्रस्तावित कानून को एजेंडे से वापस ले लिया।
राज्य सरकार ने दलील दी कि हालांकि कोई विशिष्ट कानून नहीं है, फिर भी जादुई या अलौकिक दावे की आड़ में किए गए आपराधिक कृत्यों पर मुकदमा चलाने के लिए भारतीय न्याय संहिता , औषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम, केरल पुलिस अधिनियम, एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, पॉक्सो अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम जैसे प्रावधान मौजूद हैं।
पीठ ने सरकार की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘इन पहलुओं पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।’’
उसने कहा, ‘‘सबसे पहले, जटिल कानूनी और संवैधानिक मुद्दों के बारे में कम से कम संक्षेप में बताया जाना चाहिए, जिनके कारण मंत्रिपरिषद को एजेंडे से हटना पड़ा।’’
अदालत ने कहा, ‘‘दूसरा, जादुई और चमत्कारिक दावों से उत्पन्न मामलों के अभियोजन के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, जिन्हें पिछले पांच वर्षों में ऊपर उल्लिखित सामान्य कानून के तहत निपटाया गया है।’’
पीठ ने कहा यदि ऐसे अपराधों से सामान्य कानून के तहत निपटा गया है, तो उसका रिकॉर्ड होना चाहिए और इसलिए, उसका विवरण अतिरिक्त हलफनामे के माध्यम से अदालत के समक्ष रखा जाना चाहिए।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि चूंकि सरकार दावा कर रही है कि विशेष कानून पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है, इसलिए उसे हलफनामे में यह बताना चाहिए कि इस पर निर्णय कब लिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच अगस्त की तारीख तय की।
अदालत का यह निर्देश केरल युक्तिवादी संघम द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया, जिसमें अलौकिक शक्तियों के नाम पर किए जाने वाले हानिकारक अनुष्ठानों पर रोक लगाने के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक में लागू किए गए कानूनों के समान कानून बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
भाषा धीरज