केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्त आरक्षित पदों पर टिप्पणी के लिए भाजपा ने राहुल गांधी की आलोचना की
शफीक नरेश
- 25 Jul 2025, 09:16 PM
- Updated: 09:16 PM
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्त आरक्षित पदों के संबंध में राहुल गांधी की टिप्पणी की आलोचना करते हुए भाजपा ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता से पूछा कि वह बताएं कि 2004 से 2014 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन के दौरान अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों के तहत कितने संकाय सदस्यों की नियुक्ति की गई थी।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी से पूछा कि वह बताएं कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में ओबीसी वर्ग के कितने मंत्री थे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित संकाय पदों को खाली रखना एक साजिश है, ताकि इन वर्गों को शिक्षा, शोध और नीतियों से बाहर रखा जा सके।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष गांधी ने कहा कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और बहुजन को उनका अधिकार मिलना चाहिए। राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है। सभी रिक्त पद तुरंत भरे जाएं। बहुजनों को उनका अधिकार मिलना चाहिए, मनुवादी बहिष्कार नहीं।’’
यहां तालकटोरा स्टेडियम में ओबीसी के ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी के सत्ता में रहने के दौरान जाति जनगणना नहीं करवा पाना उनकी गलती थी, लेकिन अब उन्होंने इस गलती को सुधारने के लिए कदम बढ़ाया है।
यहां भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए त्रिवेदी ने कहा, ‘‘कांग्रेस के प्रथम परिवार के सदस्य राहुल गांधी, जिन्होंने चार पीढ़ियों से पिछड़े वर्गों की आकांक्षाओं का दमन किया, चुनावों में अपनी (पार्टी की) हार पर अपनी हताशा व्यक्त कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी, ध्यान से सुनिए - विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनने के लिए पहले सहायक प्रोफेसर के पद पर चयन होना जरूरी है और फिर एक निश्चित अवधि के बाद एक प्रक्रिया से एसोसिएट प्रोफेसर बनना होता है। ये कांग्रेस अध्यक्ष का पद नहीं है जो आपको पैदा होते ही दे दिया जा सकता है।’’
त्रिवेदी ने यह भी कहा कि जो लोग आज विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर हैं, उनकी नियुक्ति 15 से 20 साल पहले सहायक प्रोफेसर के पद पर हुई होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस को बताना चाहिए कि 2004 से 2014 के बीच एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों के तहत कितने सहायक प्रोफेसर की भर्ती की गई।’’
भाषा
शफीक