केंद्र ने दूषित स्थलों की पहचान और सफाई के लिए नियम अधिसूचित किए
धीरज दिलीप
- 25 Jul 2025, 09:29 PM
- Updated: 09:29 PM
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा)केंद्र ने मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न होने से रोकने के वास्ते पूरे भारत में दूषित स्थलों की पहचान और सफाई के लिए नए नियम अधिसूचित किए हैं।
पर्यावरण संरक्षण (दूषित स्थलों का प्रबंधन) नियम, 2025 शीर्षक से बृहस्पतिवार को अधिसूचित इन नियमों का उद्देश्य मिट्टी, तलछट और पानी में खतरनाक और विषाक्त पदार्थों के संपर्क को रोकना है।
नियमों का उद्देश्य ऐसे स्थलों की पहचान करने, प्रदूषण फैलाने वालों को जवाबदेह बनाने तथा जोखिम के आकलन के आधार पर वैज्ञानिक सफाई सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित तंत्र स्थापित करना है।
नए नियम राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) और स्थानीय प्राधिकारियों को औद्योगिक गतिविधियों, ऐतिहासिक अपशिष्ट डंपों या सामुदायिक शिकायतों के आधार पर संदिग्ध दूषित स्थलों की पहचान करने और उन्हें सूचीबद्ध करने का अधिकार देते हैं।
इन स्थलों का मानचित्रण किया जाएगा तथा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा विकसित एक केन्द्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उन पर नजर रखी जाएगी।
नयी नियमावली के मुताबिक, ‘‘राज्य बोर्ड ऐसे सभी स्थलों को संदिग्ध दूषित स्थलों के रूप में केन्द्रीयकृत ऑनलाइन पोर्टल पर सूचीबद्ध करेंगे’’ तथा आकलन की एक श्रृंखला शुरू करेंगे।
इनमें प्रारंभिक जांच के बाद संदूषण की उपस्थिति और स्तर की पुष्टि के लिए विस्तृत जमीनी जांच शामिल है।
अधिसूचित नियामवली के तहत संदूषण का स्तर निर्धारित स्तर से अधिक पाए जाने पर उस स्थल को आधिकारिक तौर पर ‘संदूषित स्थल’ घोषित कर दिया जाएगा तथा अनिवार्य रूप से सुधार किया जाएगा।
नियमों में ‘जिम्मेदार व्यक्ति’ की अवधारणा को शामिल किया गया है, अर्थात इसमें व्यक्ति, कंपनी या संस्था को प्रदूषण फैलाने के लिए जवाबदेह बनाया जाता है।
अधिसूचित नियमों के मुताबिक संबंधित राज्य बोर्ड को उक्त स्थान के दूषित होने की सूचना प्रकाशित होने की तिथि से 90 दिनों के भीतर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की पहचान करनी होगी।
इसके मुताबिक यदि प्रदूषक की पहचान नहीं हो पाती, तो सरकार विभिन्न संसाधनों का उपयोग करके प्रदूषण से निपटने के लिए धन मुहैया करा सकती है, जिसमें सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम के तहत बनाए गए पर्यावरण राहत कोष और पर्यावरण उल्लंघनों से वसूले गए जुर्माने की राशि खर्च की जा सकती है।
नियमों में यह भी प्रावधान है कि ‘‘जिम्मेदार व्यक्ति पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को होने वाली सभी प्रकार की क्षति के लिए उत्तरदायी होंगे’’ तथा उन्हें बिना अनुमोदन के सफाई के दौरान और उसके बाद भूमि स्वामित्व या भूमि उपयोग को हस्तांतरित करने से प्रतिबंधित किया गया है।
पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, एक तकनीकी समिति कार्यान्वयन की देखरेख करेगी और आवश्यकतानुसार अतिरिक्त सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश करेगी।
इस समिति में केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य बोर्ड, क्षेत्र के विशेषज्ञों और उद्योग नियामकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘समिति इन नियमों के प्रावधानों के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी और केंद्र सरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।’’
भाषा धीरज