उदयपुर फाइल्स : केंद्र की मंजूरी के विरुद्ध उच्च न्यायालय को सुनवाई करने का दिया गया निर्देश
संतोष रंजन
- 25 Jul 2025, 10:10 PM
- Updated: 10:10 PM
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स - कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ की रिलीज को लेकर केंद्र सरकार की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 28 जुलाई को सुनवाई करे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बागची की पीठ ने कहा कि फिल्म रिलीज पर रोक लगाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली फिल्म निर्माताओं की अपील निरर्थक है, क्योंकि उन्होंने केंद्र के 21 जुलाई के आदेश को स्वीकार कर लिया है जिसमें छह जगह दृश्यों को हटाने का सुझाव देने समेत ‘डिस्क्लेमर’ (अस्वीकरण) में संशोधन के साथ रिलीज को मंजूरी दी गई थी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और कन्हैया लाल हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद जावेद को केंद्र के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाने का आदेश दिया गया।
एक संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश हुए वकील सैयद रिजवान ने कहा कि मदनी और जावेद का यह दावा कि फिल्म में एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया है और देश के सामाजिक ताने-बाने को खतरा है, ‘‘उनकी कोरी कल्पना के अलावा कुछ नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब ‘कश्मीर फाइल्स’ रिलीज हुई, केरल स्टोरी रिलीज हुई, तब कुछ नहीं हुआ। जब पहलगाम हमला हुआ, जब पुलवामा आतंकी हमला हुआ, तब देश का सामाजिक ताना-बाना प्रभावित नहीं हुआ। हमारे देश का सामाजिक ताना-बाना कहीं अधिक मजबूत है।’’
पीठ ने रिजवान की दलीलों को ‘विचारोत्तेजक’ पाया और कहा कि वह उचित मामलों में या जब याचिकाकर्ता मामले की जांच के बाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देंगे, तब इन दलीलों पर विचार करेगी।
सिब्बल ने कहा कि ‘केरल स्टोरी’ और ‘कश्मीर फाइल्स’ मामलों के दौरान अदालत ने फिल्में नहीं देखी थीं, लेकिन इस मामले में उन्होंने फिल्म देखी है और बता सकते हैं कि एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया गया था।
फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि (सुविधा का संतुलन) उनके पक्ष में है क्योंकि अब केंद्र ने सीबीएफसी प्रमाणन के बाद फिल्म को मंजूरी दे दी है और निर्माता इस फैसले को स्वीकार कर रहे हैं।
भाटिया की दलीलों को दर्ज करते हुए शीर्ष अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया।
शीर्ष अदालत ने सिब्बल की इस दलील पर भी गौर किया कि मदनी ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर कर केंद्र द्वारा 21 जुलाई को पारित आदेश को चुनौती दी है।
पीठ ने कहा कि उसने फिल्म के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और उच्च न्यायालय फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के मुद्दे पर फैसला सुना सकता है।
पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और कन्हैया लाल हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद जावेद से केंद्र के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय जाने को कहा था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मदनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 जुलाई को फिल्म की रिलीज पर तब तक के लिए रोक लगा दी, जब तक केंद्र सरकार इस पर स्थायी प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं ले लेती।
फिल्म निर्माताओं ने दावा किया कि उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से प्रमाणपत्र मिला है, जिसमें बोर्ड ने 55 दृश्य काटने का सुझाव दिया है। फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी।
उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी।
हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया था जिसमें दावा किया गया था कि भारतीय जनता पार्टी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई कथित विवादास्पद टिप्पणी के बाद दर्जी कन्हैया लाल शर्मा ने सोशल मीडिया में उनके समर्थन में कथित तौर पर पोस्ट साझा किया था, जिसके लिये उसकी उसकी हत्या की गई है।
इस मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की थी और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अलावा गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
यह मुकदमा जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।
भाषा संतोष