अदालत ने कुत्ते को पीटने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश बरकरार रखा
जितेंद्र नरेश
- 25 Jul 2025, 10:13 PM
- Updated: 10:13 PM
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने जनवरी 2022 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में एक आवारा कुत्ते को कथित तौर पर डंडे से पीटने के मामले में पुलिस के एक अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को बरकरार रखा।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुखविंदर कौर ने कहा कि अपीलकर्ता लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन के लिए कानून के संरक्षण का दावा नहीं कर सकते क्योंकि ‘कुत्ते को पीटना आधिकारिक कर्तव्य के अंतर्गत नहीं आता’।
अपीलकर्ता, दिल्ली में एक पुलिसकर्मी है।
न्यायाधीश जाफराबाद थाने में तैनात पुलिसकर्मी रवींद्र की मजिस्ट्रेट अदालत के फरवरी 2023 में दिये आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
रवींद्र ने कई आधार पर आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें यह भी शामिल था कि कुत्ते के काटने पर उन्होंने आत्मरक्षा में उसे पीटा था।
अपीलकर्ता ने दलील दी कि कथित घटना उस समय हुई जब वह अपना आधिकारिक कर्तव्य निभा रहे थे और आवारा कुत्ते को कोई चोट नहीं आई थी, इसके अलावा सोशल मीडिया पर घटना का कथित वीडियो ‘अधूरा’ है।
अदालत ने 18 जुलाई को कहा, “संबंधित सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) द्वारा दी गई स्थिति रिपोर्ट और लोक शिकायत प्रकोष्ठ की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि जांच की आड़ में पुलिस ने स्थानीय निवासियों, शिकायतकर्ताओं, अभियुक्तों और चिकित्सकों के बयान दर्ज किये, जो कि केवल अपीलकर्ता को बचाने के लिए किया गया प्रयास प्रतीत होता है।”
अदालत ने कानून के तहत एक लोक सेवक के लिए सुरक्षा का अनुरोध करने वाली रवींद्र की याचिका को निराधार माना।
अदालत ने कहा, “अपीलकर्ता (रवींद्र) की यह दलील कि आवारा कुत्ते को किसी प्रकार की गंभीर चोट नहीं आई या वह अपंग नहीं हुआ है, बिल्कुल भी स्वीकार योग्य नहीं है क्योंकि पुलिस ने कुत्ते की मेडिकल जांच भी नहीं कराई।”
आदेश में कहा गया कि पुलिस ने कुत्ते की मेडिकल जांच करने के बजाय, खुद ही यह निष्कर्ष निकाल लिया कि कुत्ता अपंग नहीं हुआ।
अदालत ने कहा, “मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के इस निष्कर्ष में कोई त्रुटि नहीं दिखती कि पुलिस ने जांच की आड़ में सिर्फ लीपापोती की और आरोपी को क्लीन चिट देने का विकल्प चुना जबकि इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया गया कि आरोपी उसी जगह तैनात था, जहां यह घटना हुई।”
न्यायाधीश कौर ने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है कि प्रथम दृष्टया किये गये अपराधों की जांच आवश्यक है।
भाषा जितेंद्र