एनईपी 2020 के तहत सबसे अधिक बीए, बीएससी के छात्र चुन रहे ऑनर्स डिग्री का विकल्प
धीरज माधव
- 26 Jul 2025, 06:49 PM
- Updated: 06:49 PM
(निशका सचदेव)
नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम के चौथे वर्ष में प्रवेश की तैयारी कर रहा है और बीए और बीएससी पाठ्यक्रमों के छात्र अपनी डिग्री को जारी रखने और प्रतिष्ठा (ऑनर्स) में अपग्रेड करने का विकल्प चुनने वाले सबसे बड़े समूह के रूप में उभरे हैं।
विश्वविद्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि विस्तारित वर्ष के लिए पात्र लगभग 72,000 छात्रों में से,बृहस्पतिवार तक 50,000 से अधिक ने चौथे वर्ष में पढ़ाई जारी रखने का विकल्प चुना है।
इस समूह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अंतःविषयक बीए और बीएससी कार्यक्रम के छात्रों से बना है, जो ऑनर्स डिग्री के प्रति आकर्षित हुए हैं, जो पहले उनके लिए उपलब्ध नहीं थी।
रामजस कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल कर रहे छात्र मानव ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए एक बड़ा अवसर है। पहले हमारे पास ऑनर्स के साथ स्नातक करने का विकल्प नहीं था, अब हमारे पास है, इसलिए मैंने इसे चुना।’’
इस नीति का हालांकि उद्देश्य अकादमिक लचीलेपन और शोध के अवसरों को बढ़ाना है, लेकिन इसके क्रियान्वयन ने कई चिंताएं पैदा की हैं। महाविद्यालयों के छात्र और प्राध्यापक अस्पष्ट दिशानिर्देशों, विभागों में कर्मचारियों की कमी और शोध पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में देरी के कारण व्यापक भ्रम की स्थिति की जानकारी दे रहे हैं।
जीसस एंड मैरी कॉलेज की बीए तृतीय वर्ष की छात्रा अनन्या ने बताया कि उन्हें शुरू में बताया गया था कि वह समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में से किसी एक विषय में चौथे वर्ष में शोध कर सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन बाद में मनोविज्ञान विभाग ने कहा कि यह केवल ऑनर्स छात्रों के लिए है। हमें गुमराह किया गया।’’
स्पष्टता की कमी उन छात्रों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है जो अंतःविषय संयोजन वाले पाठ्यक्रम में पंजीकृत हैं। कई विभाग इसमें शामिल हैं, जो अक्सर परस्पर विरोधी जानकारी जारी करते हैं, जिससे छात्रों को अपने शैक्षणिक भविष्य को अनिश्चितता बनी रहती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने पहले चौथे वर्ष को ‘ परिवर्तनकारी’ बताते हुए इसकी सराहना की थी और शोध, उद्यमिता और कौशल पर इसके ध्यान केंद्रित होने को रेखांकित किया था।
सिंह ने पुष्टि की कि 20,000 से ज्यादा विद्यार्थियों ने चौथे वर्ष के विकल्प को नहीं चुना है। लेकिन उन्होंने रेखांकित किया कि विश्वविद्यालय शेष बड़े बैच को समायोजित करने को तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जो भी आवश्यक सुविधाओं की जरूरत होगी, वे उपलब्ध कराएंगे। यह हमारे छात्रों के हित में है।’’
इस आश्वासन के बावजूद, शिक्षक संघ को संशय है। कई लोगों ने अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, सीमित संकाय संख्या और संरचित अभिविन्यास कार्यक्रमों के अभाव पर चिंता जताई है। बताया जा रहा है कि विभाग समय पर अनुसंधान पर्यवेक्षकों को अंतिम रूप देने और प्रयोगशालाएं तैयार करने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं।
भाषा धीरज