बंगाल के शिक्षा मंत्री ने ओबीसी सूची पर उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना की
धीरज राजकुमार
- 28 Jul 2025, 04:12 PM
- Updated: 04:12 PM
कोलकाता, 28 जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने राज्य सरकार की ओर से अधिसूचित अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की संशोधित सूची को लागू करने पर कलकत्ता उच्च न्यायालय की ओर से लगायी गयी रोक पर उच्चतम न्यायालय के स्थगन की सोमवार को सराहना की।
मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार तत्काल उचित कार्रवाई करने के लिए तैयार है।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने सोमवार को राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया, उच्च न्यायालय का आदेश त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है।’’
बसु ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय का आज का स्थगन हमारी माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओबीसी नीति की नैतिक जीत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च शिक्षा विभाग में हमने पहले ही इसका अनुमान लगा लिया था और तत्काल उचित कार्रवाई करने के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं।’’
पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डब्ल्यूबीजेईई) बोर्ड की अध्यक्ष सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी ने इससे पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि बोर्ड परिणाम प्रकाशित करने के लिए तैयार है और उसने जुलाई के पहले सप्ताह में ही इसकी घोषणा करने के लिए सभी प्रबंध भी कर लिए थे, लेकिन चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन हो गया था, इसलिए इस संबंध में कोई भी कदम उठाने से पहले बोर्ड उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश का इंतजार करेगा।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 17 जून को ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों के तहत 140 उपवर्गों को आरक्षण देने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचनाओं पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने सुनवाई के शुरुआत में राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है। उच्च न्यायालय ऐसा आदेश कैसे पारित कर सकता है? आरक्षण कार्यपालिका के कार्य का हिस्सा है।’’
ओबीसी सूची में 77 समुदायों को शामिल करने के कदम को मई 2024 में उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करने के बाद राज्य ने नई सूची तैयार की थी।
भाषा धीरज