झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन का निधन
गोला सिम्मी
- 04 Aug 2025, 11:38 AM
- Updated: 11:38 AM
(फाइल फोटो के साथ)
रांची, चार अगस्त (भाषा) झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।
उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निधन की जानकारी दी।
शिबू सोरेन के निधन के साथ ही उस राजनीतिक युग का अंत हो गया है, जिसमें आदिवासी आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि मिली थी।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन गुर्दे संबंधी समस्याओं के कारण एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज करा रहे थे।
हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए... मैं आज ‘शून्य’ हो गया हूं।’’
शिबू सोरेन लंबे समय से नियमित रूप से अस्पताल में इलाज करा रहे थे।
शिबू सोरेन का सर गंगा राम अस्पताल के ‘नेफ्रोलॉजी’ विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए. के. भल्ला की निगरानी में 19 जून से उपचार किया जा रहा था।
डॉ. भल्ला ने बताया कि शिबू सोरेन को सुबह आठ बजकर 56 मिनट पर मृत घोषित कर दिया गया।
डॉक्टर ने कहा, ‘‘वह गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित थे और उन्हें डेढ़ महीने पहले दौरा भी पड़ा था। वह पिछले एक महीने से जीवन रक्षक प्रणाली पर थे।’’
अस्पताल ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारी बहु-विषयक चिकित्सा टीम के अथक प्रयासों के बावजूद, शिबू सोरेन का चार अगस्त, 2025 को निधन हो गया। उनके अंतिम सांस लेने के दौरान उनका परिवार उनके पास मौजूद था।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘हम इस दुख की घड़ी और एक लोकप्रिय जननेता की क्षति के वक्त उनके परिवार, उनके प्रियजनों और झारखंड के लोगों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।’’
शिबू सोरेन पिछले 38 वर्षों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता थे और पार्टी के संस्थापक संरक्षक भी थे।
झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार और विभिन्न दलों के नेताओं ने झामुमो संरक्षण के निधन पर शोक जताया है।
गंगवार ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी का निधन अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। वह आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की एक सशक्त आवाज थे। समाज के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।’’
कांग्रेस नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने इसे अपूरणीय क्षति बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘अलग झारखंड के गठन में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। वह गरीबों, दलितों और राज्य की जनता की आवाज थे। झारखंड को आज एक अपूरणीय क्षति पहुंची है।’’
भाषा गोला