सांसदों ने शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी, आदिवासियों के अधिकारों के हितैषी नेता के रूप में याद किया
वैभव मनीषा
- 04 Aug 2025, 04:03 PM
- Updated: 04:03 PM
नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर सोमवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया और उन्हें एक ऐसे महान व्यक्तित्व के रूप में याद किया जिन्होंने आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा की और झारखंड के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन का सोमवार को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया, जहां वह गुर्दे संबंधी समस्याओं के कारण एक महीने से अधिक समय से भर्ती थे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद दीपक प्रकाश ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज शिबू सोरेन जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वह झारखंड के गरीबों और आदिवासियों की आवाज थे। झारखंड का मतलब शिबू सोरेन था। उन्होंने एक अलग राज्य के लिए लड़ाई लड़ी और अटल (बिहारी वाजपेयी) जी की सरकार के दौरान ही झारखंड का गठन हुआ।’’
झारखंड से राज्यसभा सदस्य प्रकाश ने कहा, ‘‘एक मंत्री, विधायक और मुख्यमंत्री के रूप में उनका योगदान अतुलनीय था। हम उनके निधन से स्तब्ध हैं।’’
उन्होंने सोरेन को ‘झारखंड की आवाज’ बताया और कहा कि अलग राज्य के लिए उनके संघर्ष ने भारत के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया।
द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि सोरेन का निधन ‘‘देश और राजनीतिक क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘शिबू सोरेन काफी समय से अस्वस्थ थे, लेकिन आज जो हुआ वह अप्रत्याशित है। वह देश के एक कद्दावर नेता थे। राजनीति और लोगों के जीवन में उनका योगदान उल्लेखनीय था। उन्होंने एक बहुत अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड छोड़ा है।’’
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी सोरेन को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे संसद में उनके साथ काम करने का अवसर मिला। झामुमो सरकार आज जिस मुकाम पर है, उसे वहां तक पहुंचाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। उनका निधन झारखंड के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।’’
राज्य के गोड्डा से सांसद दुबे ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं बाबा बैद्यनाथ से प्रार्थना करता हूं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’’
जद(यू) नेता संजय कुमार झा ने सोरेन को एक ‘लोकप्रिय जननेता’ बताया, जिन्होंने एक अमिट विरासत छोड़ी है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब बिहार और झारखंड एक थे, तब भी वह बिहार विधानसभा के सदस्य थे और बाद में बिहार से मंत्री बने। वह एक लोकप्रिय जननेता थे और अपनी पार्टी की ओर से मैं उनके प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।’’
भाषा वैभव