खरगे, राहुल ने शिबू सोरेन के निधन पर दुख जताया, जल, जंगल, जमीन के लिए उनके संघर्ष को याद किया
हक माधव
- 04 Aug 2025, 05:42 PM
- Updated: 05:42 PM
नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर सोमवार को शोक व्यक्त करते हुए कहा कि झामुमो नेता ने अलग झारखंड प्रदेश और वहां के लोगों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार तथा आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए आजीवन संघर्ष किया।
खरगे और राहुल गांधी ने सोरेन के आवास पर जाकर झामुमो के सर्वोच्च नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा सोरेन के पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ढांढस बंधाया।
शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन जी के निधन से मैं दुःखी हूं। उन्होंने अलग झारखंड प्रदेश और वहां के लोगों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए आजीवन संघर्ष किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनके सुपुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से बात कर उनके परिवार और समर्थकों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की। दुःख की इस घड़ी में ईश्वर उन्हें संबल प्रदान करे।’’
राहुल गांधी ने शिबू सोरेन के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उन्होंने आदिवासियों के लिए आजीवन संघर्ष किया और झारखंड राज्य के निर्माण में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के वरिष्ठ नेता शिबू सोरेन जी के निधन का समाचार सुनकर गहरा दुख हुआ। आदिवासी समाज की मजबूत आवाज बनकर सोरेन जी ने उनके हक और अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। झारखंड के निर्माण में उनकी भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हेमंत सोरेन जी और पूरे सोरेन परिवार के साथ-साथ गुरुजी के सभी समर्थकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर ‘पोस्ट’ कर कहा कि 'गुरुजी' शिबू सोरेन सिर्फ सांसद और तीन बार मुख्यमंत्री नहीं थे, बल्कि ठीक 25 साल पहले झारखंड के निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन में वह निर्णायक भूमिका में थे।
उन्होंने कहा, ‘‘वह सचमुच एक महान व्यक्ति थे जिनका सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रति जुनून प्रेरणादायक था। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम, 2006 और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के निर्माण में भारी योगदान दिया।’’
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