नीति आयोग ने स्पष्ट लक्ष्य, समयसीमा केंद्रित ईवी नीति की सिफारिश की
प्रेम रमण
- 04 Aug 2025, 08:55 PM
- Updated: 08:55 PM
नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) नीति आयोग ने देश में इलेक्ट्रिक परिवहन को तेज रफ्तार देने के लिए सोमवार को स्पष्ट लक्ष्यों और समय-सीमाओं के साथ एक राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति बनाने की अनुशंसा की।
नीति आयोग ने ईवी प्रोत्साहन पर केंद्रित रिपोर्ट में कहा है कि अब प्रोत्साहनों के बजाय ईवी के उत्पादन एवं खरीद को अनिवार्य बनाने और पेट्रोल-डीजल वाहनों के उपयोग को सीमित करने के लिए हतोत्साहित करने वाले नियामकीय कदमों की जरूरत है।
रिपोर्ट में सरकार को परंपरागत वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने से होने वाले लाभों और उनके लिए आवश्यक परिवेश मुहैया कराने में सहूलियत के आधार पर वाहन बेड़े का एक छोटा समूह बनाने पर ध्यान केंद्रित का भी सुझाव दिया गया है।
रिपोर्ट में सार्वजनिक बजट और बहुपक्षीय विकास बैंकों से मिलने वाले अंशदानों की मदद से एक संयुक्त कोष बनाने की बात कही गई है। इस कोष से ई-बसों और ई-ट्रकों की खरीद के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकेगा।
नीति आयोग ने परिसंपत्ति खरीद के बजाय सेवा-आधारित मॉडल को प्राथमिकता देने, शोध एवं विकास को बढ़ावा देने और चार्जिंग बुनियादी ढांचे के रणनीतिक विस्तार की भी जरूरत बताई है।
इसके अलावा ईवी में इस्तेमाल होने वाली बैटरी की लागत घटाने, ऊर्जा घनत्व बढ़ाने और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के आयात पर निर्भरता कम करने पर भी जोर दिया गया है।
नीति आयोग के सदस्य राजीव गौबा ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, "भारत हरित परिवहन में एक रूपांतरकारी परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा है। ऐसे समय में यह रिपोर्ट मौजूदा बाधाओं से पार पाने और पैमाना बढ़ाने से जुड़े नीतिगत सुझाव एवं अंतर्दृष्टि देती है।"
नीति आयोग ने रिपोर्ट में कहा है, "बैटरी चार्जिंग ढांचे के रणनीतिक प्रोत्साहन और सार्वजनिक जागरूकता एवं सूचना प्रणाली को बढ़ाने से ईवी को अपनाने में तेजी आएगी।"
इस अवसर पर नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि आयोग ईवी क्रांति को आगे बढ़ाने में हमेशा अग्रणी रहा है। यह रिपोर्ट इस प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में एक प्रयास है।
भारत ने वर्ष 2030 तक कुल वाहन बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 30 प्रतिशत पर ले जाने का लक्ष्य रखा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में देश में सिर्फ 50,000 ईवी की बिक्री हुई थी जो बढ़कर 2024 में 20.8 लाख तक पहुंच गई। हालांकि यह अभी भी वैश्विक रुझानों की तुलना में पीछे है।
फिलहाल देश में ईवी की हिस्सेदारी 7.6 प्रतिशत है जिसे अगले पांच वर्षों में 22 प्रतिशत से अधिक पहुंचाने की जरूरत है।
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