मोइत्रा से तकरार के बीच तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक का पद छोड़ा
अमित सुरेश
- 04 Aug 2025, 10:50 PM
- Updated: 10:50 PM
कोलकाता, चार अगस्त (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने सोमवार को लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया। बनर्जी ने आरोप लगाया कि सांसदों के बीच समन्वय की कमी के लिए उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि कुछ सांसद संसद में बमुश्किल ही आते हैं।
कल्याण बनर्जी ने यह कदम पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी की अध्यक्षता में तृणमूल सांसदों की डिजिटल तरीके से आयोजित एक बैठक के कुछ घंटे बाद उठाया। बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने कथित तौर पर पार्टी के संसदीय दल में खराब समन्वय पर अप्रसन्नता जतायी।
कल्याण बनर्जी ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘मैंने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक का पद छोड़ दिया है, क्योंकि 'दीदी' (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) ने डिजिटल बैठक के दौरान कहा था कि पार्टी सांसदों के बीच समन्वय की कमी है। इसलिए दोष मुझ पर है। इसलिए, मैंने पद छोड़ने का फैसला किया है।’’
भावुक होते हुए बनर्जी ने कहा कि वह एक साथी सांसद द्वारा उनके "अपमान" पर पार्टी की चुप्पी से बहुत आहत हैं। उनका इशारा परोक्ष तौर पर मोइत्रा की ओर था।
नब्बे के दशक के उत्तरार्ध से तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के साथ रहे वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी ने कहा, "दीदी कहती हैं कि लोकसभा सदस्य लड़ रहे हैं और झगड़ा कर रहे हैं...क्या मुझे उन लोगों को बर्दाश्त करना चाहिए जो मुझे अपशब्द कहते हैं? मैंने पार्टी को सूचित किया, लेकिन मेरा अपमान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, वे मुझे ही दोषी ठहरा रहे हैं। ममता बनर्जी जिस तरीके से चाहें पार्टी को चलायें।’’
उन्होंने पार्टी के आंतरिक मामलों पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा, "मैं इतना क्षुब्ध हूं कि मैं राजनीति छोड़ने के बारे में भी सोच रहा हूं।’’
जहां कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर अपने करीबी सहयोगियों से कहा कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है, खासकर कृष्णानगर की सांसद महुआ मोइत्रा के साथ महीनों तक चले तनाव और उससे पहले पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल सांसद कीर्ति आजाद के साथ तनाव के बीच।
कल्याण बनर्जी ने अपने इस्तीफे से ठीक पहले ‘एक्स’ पर एक लंबी पोस्ट में मोइत्रा पर उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने पोस्ट में कहा था, ‘‘मैंने महुआ मोइत्रा द्वारा हाल ही में एक सार्वजनिक पॉडकास्ट में की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों पर ध्यान दिया है। उनके शब्दों का चयन, जिसमें एक साथी सांसद की तुलना 'सुअर' से करने जैसी अमानवीय भाषा का प्रयोग शामिल है, न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि सभ्य संवाद के बुनियादी मानदंडों की उपेक्षा को भी दर्शाता है।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘किसी पुरुष सहकर्मी को 'यौन रूप से कुंठित' कहना कोई साहस नहीं है - यह सरासर दुर्व्यवहार है। अगर ऐसी भाषा किसी महिला के लिए इस्तेमाल की जाती, तो पूरे देश में आक्रोश फैल जाता और यह सही भी है। लेकिन जब कोई पुरुष निशाना होता है, तो इसे या तो नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है या फिर सराहा जाता है। एक बात साफ़ है: दुर्व्यवहार तो दुर्व्यवहार ही होता है - चाहे वह किसी के साथ हो।’’
कल्याण बनर्जी ने कहा था, ‘‘अगर मोइत्रा सोचती हैं कि अपशब्द कहने से उनकी अपनी नाकामियां छिप जाएंगी या उनके रिकॉर्ड पर गंभीर सवालों से ध्यान हट जाएगा, तो वह खुद को धोखा दे रही हैं। जो लोग जवाब देने के बजाय अपशब्दों पर भरोसा करते हैं, वे लोकतंत्र के चैंपियन नहीं हैं - वे इसकी शर्मिंदगी हैं और इस देश के लोग उनकी इस हरकत को समझ सकते हैं।’’
श्रीरामपुर से चार बार के सांसद कल्याण बनर्जी एक वरिष्ठ अधिवक्ता भी हैं। उन्होंने कहा कि वह इस बात से अपमानित महसूस कर रहे हैं कि अनुशासनहीनता और कम उपस्थिति के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने की बजाय पार्टी उन्हें ही दोषी ठहरा रही है।
कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘‘ममता बनर्जी ने जिन्हें सांसद बनाया है, वे लोकसभा आते भी नहीं हैं। दक्षिण कोलकाता, बैरकपुर, बांकुड़ा, उत्तर कोलकाता के तृणमूल सांसदों में से शायद ही कोई संसद आता है। मैं क्या कर सकता हूं? मेरा क्या कसूर है? मुझे ही हर चीज के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।’’
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी विशेष रूप से लोकसभा में एकजुटता की कमी से परेशान थीं।
तृणमूल के एक नेता के अनुसार ममता बनर्जी ने बैठक में कहा, ‘‘राज्यसभा का काम अच्छा चल रहा है, लेकिन लोकसभा सांसदों का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा है। सुदीप बंदोपाध्याय अस्वस्थ हैं और सौगत रॉय भी। वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति में समन्वय चरमरा गया है।’’
कल्याण बनर्जी ने एक बांग्ला टीवी चैनल से कहा, "अगर ज़्यादातर सांसद संसद से नियमित रूप से अनुपस्थित रहते हैं, तो मैं क्या करूँगा? क्या ममता बनर्जी जानती हैं कि संसद का दैनिक कामकाज कैसे चल रहा है? अगर पार्टी कदम नहीं उठाए, तो मैं क्या करता? मैंने सबसे ज़्यादा काम किया, लेकिन मैं ऑक्सफ़ोर्ड या कैम्ब्रिज का स्कॉलर नहीं हूँ। मैं महंगी साड़ियां नहीं पहनता। जो लोग ममता बनर्जी की आलोचना करते हैं, उन्हें इनाम मिलता है।’’
ममता बनर्जी ने किसी का नाम लिये बिना स्पष्ट किया कि सांसदों के बीच गुटबाजी “अस्वीकार्य” है और कहा कि पार्टी को संसद में एकता प्रदर्शित करनी चाहिए।
कई सांसदों का मानना है कि उनकी टिप्पणी महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी पर लक्षित थी, जिनके बीच सार्वजनिक विवाद हाल ही में सुर्खियों में रहा था।
सूत्रों ने बताया कि कृष्णानगर की सांसद महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी के बीच लगातार तकरार से पार्टी नेतृत्व को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
ऐसा माना जा रहा है कि विशेष तौर पर मोइत्रा के साथ हालिया तकरार ने तृणमूल को पार्टी की रणनीति टीम के पुनर्गठन के लिए प्रेरित किया।
हालांकि, देर शाम के घटनाक्रम में कल्याण बनर्जी ने कहा कि उन्हें तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी का फोन आया, जिन्होंने उनसे कुछ और दिनों के लिए मुख्य सचेतक के रूप में काम जारी रखने का अनुरोध किया।
कल्याण बनर्जी ने कहा, "कुछ ही मिनट पहले अभिषेक बनर्जी ने मुझे फ़ोन किया और कहा कि मुझे कुछ और दिन काम करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह सात अगस्त को मुझसे मिलेंगे और बात करेंगे।’’
सोमवार को डिजिटल तरीके से आयोजित तृणमूल की बैठक में लोकसभा और राज्यसभा दोनों के पार्टी सदस्यों ने भाग लिया।
भाषा अमित