असम: ईडी ने 105 करोड़ रुपये के एससीईआरटी घोटाले में पूर्व आईएएस अधिकारी के परिसरों पर छापे मारे
राजकुमार वैभव
- 05 Aug 2025, 05:05 PM
- Updated: 05:05 PM
गुवाहाटी, पांच अगस्त (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने असम राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) में 105 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के सिलसिले में मंगलवार को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सेवाली देवी शर्मा और अन्य के खिलाफ छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि एससीईआरटी की पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष एवं निदेशक शर्मा एवं उनके कुछ कथित सहयोगियों के कम से कम आठ परिसरों पर धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापे मारे गए।
धनशोधन का यह मामला असम के मुख्यमंत्री के विशेष सतर्कता प्रकोष्ठ के निर्देश पर पुलिस द्वारा मई 2023 में दर्ज की गई एक प्राथमिकी पर आधारित है। शिकायत दर्ज होने के कुछ दिन बाद ही असम पुलिस ने उन्हें राजस्थान से गिरफ्तार किया था।
सूत्रों के अनुसार, शर्मा के खिलाफ पुलिस ने 5.7 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में आरोपपत्र दाखिल किया था।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की 1992 बैच की अधिकारी शर्मा राजस्थान संवर्ग से हैं। असम में उनके प्रतिनियुक्ति पर रहने के समय 2017 से 2020 तक एससीईआरटी में उनके कार्यकाल के दौरान 105 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताएं हुईं।
खबरों में कहा गया है कि उन्हें इस मामले में मार्च में शीर्ष अदालत से जमानत मिल गई थी।
ईडी की कार्रवाई पर पूर्व नौकरशाह की प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी।
सूत्रों के अनुसार, शर्मा एससीईआरटी के मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रकोष्ठ (ओडीएल) की कार्यकारी अध्यक्ष-सह-निदेशक के रूप में कार्यरत थीं । उनके पास राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के दो वर्षीय ‘डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन’ कार्यक्रम के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी थी।
राज्य सरकार ने 59 संस्थानों के निर्माण और 27,897 शिक्षकों के प्रशिक्षण को मंजूरी दी थी।
लेकिन पूर्व आईएएस अधिकारी पर ‘अधिक धन जुटाने’ के लिए 347 अध्ययन केंद्र खोलने और 1,06,828 प्रशिक्षुओं को नामांकित करने का आरोप है।
सूत्रों ने दावा किया कि शर्मा ने ओडीएल सेल के लिए पांच बैंक खाते खोले, जहां वह "एकमात्र हस्ताक्षरकर्ता" थीं लेकिन यह सरकारी नियमों के ‘‘विपरीत" था।
सूत्रों ने आरोप लगाया कि व्यक्तियों से प्राप्त 115 करोड़ रुपये की फीस में से, उन्होंने कथित तौर पर राज्य सरकार से वित्तीय मंजूरी लिए बिना 105 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए।
भाषा राजकुमार