राज्यसभा में उप सभापति ने सदन में सीआईएसएफ की तैनाती का विपक्ष का आरोप खारिज किया
मनीषा माधव
- 05 Aug 2025, 06:00 PM
- Updated: 06:00 PM
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) राज्यसभा में मंगलवार को सुरक्षा कर्मियों की तैनाती को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई और उप सभापति हरिवंश ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के इस आरोप को खारिज कर दिया कि सदन में सीआईएसएफ कर्मी विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए तैनात किए गए थे।
हरिवंश ने सदन को सूचित किया कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीते सप्ताह राज्यसभा में सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती को लेकर उन्हें एक पत्र लिखा था और खरगे का वह पत्र मीडिया के पास पहुंच गया।
हरिवंश ने खरगे द्वारा भेजे गए पत्र को सार्वजनिक करने पर नाराजगी जताई और इसे ‘‘विशेषाधिकार संवाद’’ बताते हुए कहा कि इसे मीडिया में साझा नहीं किया जाना चाहिए था।
खरगे ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों को सीआईएसएफ कर्मियों ने सदन में आसन के सामने जाने से रोका, मानो वे आतंकवादी हों। खरगे ने यह भी सवाल किया कि क्या सदन की कार्रवाई गृह मंत्री अमित शाह चला रहे हैं ?
हरिवंश ने कहा कि खरगे का यह आरोप गलत है। सत्ता पक्ष ने भी इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई।
उपसभापति ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा कर्मी सीआईएसएफ के नहीं बल्कि संसदीय सुरक्षा सेवा के थे। उन्होंने विपक्ष के आचरण को ‘‘अलोकतांत्रिक’’ बताया और पूछा कि नारेबाजी और सदन के सदस्यों का कामकाज बाधित करना किस प्रकार लोकतांत्रिक अधिकार हो सकता है।
सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने विपक्षी सदस्यों को सदन चलाने के नियमों को सीखने के लिए कहा और विपक्ष के आचरण को ‘‘अराजकता’’ बताया। इससे विपक्षी सदस्य नाराज हो गए और जोरदार विरोध किया।
विपक्ष के नेता खरगे ने विपक्ष के विरोध प्रदर्शन को लोकतांत्रिक बताया और कहा कि क्या सांसदों को आतंकवादी समझा जा रहा है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि खरगे द्वारा गलत तथ्य प्रस्तुत करने पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए, यह स्पष्ट किया किया जाए।
हरिवंश ने सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सदस्यों से आत्म-निरीक्षण करने का आग्रह किया। उन्होंने सदन के ऐतिहासिक संदर्भ भी दिए, जिनमें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विचार भी शामिल थे।
उन्होंने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की बार बार अपील की लेकिन सदन में व्यवस्था न बनते देख उन्होंने बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक पुन: शुरू होने पर सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का मुद्दा उठाया और इस पर तत्काल चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करने लगे।
हंगामे के बीच ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने के प्रावधान वाले सांविधिक संकल्प को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई और बैठक को बुधवार को पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
भाषा
मनीषा