व्यापार समझौते से आने वाले वर्षों में ब्रिटेन को समुद्री खाद्य निर्यात तीन गुना हो जाएगा : उद्यो्ग
राजेश राजेश अजय
- 05 Aug 2025, 07:04 PM
- Updated: 07:04 PM
अहमदाबाद, पांच अगस्त (भाषा) उद्योग जगत के दिग्गजों का मानना है कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते के तहत मत्स्य उत्पादों पर शुल्क हटाए जाने के बाद आने वाले वर्षों में भारत से ब्रिटेन को समुद्री खाद्य निर्यात तीन गुना हो जाएगा।
चूंकि गुजरात, जिसकी तटरेखा लगभग 2,300 किलोमीटर है, भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में योगदान देने वाले प्रमुख राज्यों में से एक है, ऐसे में उद्योग जगत के दिग्गजों का मानना है कि भारत के निर्यात में वृद्धि से गुजरात के मछुआरों, निर्यातकों और इस उद्योग से जुड़े पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भी लाभ होगा।
गुजरात स्थित निर्यातक जगदीश फोफंडी ने कहा कि निर्यात शुल्क में राहत से भारत का ब्रिटेन को समुद्री खाद्य निर्यात तीन साल में मौजूदा के 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 3,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।
भारतीय समुद्री-खाद्य निर्यात संघ (एसईएआई) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष फोफंडी ने बताया कि वर्तमान में, ब्रिटेन मछली और झींगा मछली जैसे भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों पर 8.9 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब, व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, भारत से ब्रिटेन को निर्यात किए जाने वाले ऐसे उत्पादों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। ब्रिटेन हर साल दुनियाभर से 5.4 अरब डॉलर मूल्य का समुद्री खाद्य आयात करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, ब्रिटेन के इस आयात में भारत की हिस्सेदारी केवल 2.2 प्रतिशत है, जो वर्तमान में 1,000 करोड़ रुपये है।’’
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) के पूर्व उपाध्यक्ष फोफंडी ने कहा कि शुल्क में कमी के साथ, ब्रिटेन में खरीदारों के लिए भारतीय समुद्री खाद्य उत्पाद लगभग आठ से नौ प्रतिशत सस्ते हो जाएंगे, जिससे भारतीय उत्पाद अन्य देशों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे।
फोफंडी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अगले तीन वर्षों में हमारा निर्यात मौजूदा के 1,000 करोड़ रुपये के स्तर से बढ़कर 3,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। चूंकि गुजरात एक प्रमुख योगदान देने वाला राज्य है, इसलिए यह नया बाज़ार निश्चित रूप से हमारे मछुआरों, निर्यातकों और इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों को लाभान्वित करेगा।’’
फोफंडी ने कहा कि झींगा भारतीय समुद्री खाद्य के कुल निर्यात का 70 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि, अभी इसे अमेरिका और अन्य बाजारों से दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
फोफंडी ने कहा, ‘‘इस व्यापार समझौते के कारण ब्रिटेन के बाजार के खुलने से, यह उन झटकों को कुछ हद तक कम कर देगा जो अन्य बाजार भारतीय निर्यातकों को दे रहे हैं। इससे दक्षिण गुजरात के झींगा पालन उद्योग को विशेष रूप से मदद मिलेगी।’’
फोफंडी ने कहा कि दक्षिण गुजरात में झींगा पालन अधिक होता है, लेकिन सौराष्ट्र क्षेत्र का तटीय क्षेत्र समुद्र से पकड़ी गई मछलियों के निर्यात में योगदान देता है। उन्होंने आगे कहा कि उस क्षेत्र से निर्यात की जाने वाली मछलियों की कुछ किस्में ब्रिटेन में बसे भारतीयों और चीन के लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई हैं।
एसईएआई के गुजरात स्थित क्षेत्रीय अध्यक्ष केतन सुयानी के अनुसार, यह व्यापार समझौता अंततः मछुआरों को अपनी पकड़ी हुई मछलियों के बेहतर दाम पाने में मदद करेगा।
मौजूदा समय में, गुजरात का मत्स्य निर्यात लगभग 5,000 करोड़ रुपये का है। इसमें से लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा पूरे यूरोप का है, जबकि शेष 60 प्रतिशत खाड़ी, चीन और अन्य सुदूर-पूर्वी देशों को जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह व्यापार समझौता अंततः गुजरात के मछुआरों को लाभान्वित करेगा क्योंकि शुल्क में कमी के बाद भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों की मांग बढ़ेगी। निर्यात मात्रा में वृद्धि से मछुआरों को बेहतर दाम मिलेंगे।’’
जुलाई में, भारत और ब्रिटेन ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो एक द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता है।
सीईटीए, भारत द्वारा ब्रिटेन को किए जाने वाले 99 प्रतिशत निर्यात को अभूतपूर्व शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है, जो व्यापार मूल्य का लगभग 100 प्रतिशत है।
इसमें कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न एवं आभूषण, और खिलौने जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के साथ-साथ इंजीनियरिंग सामान, रसायन और वाहन कलपुर्जा जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्र भी शामिल हैं।
भाषा राजेश राजेश