समुद्र माल वहन विधेयक को मिली संसद की मंजूरी
अविनाश नरेश
- 06 Aug 2025, 08:27 PM
- Updated: 08:27 PM
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) संसद ने बुधवार को 'समुद्र द्वारा माल वहन विधेयक, 2025' को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में यह विधेयक, बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के विरोध और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से पारित हुआ।
लोकसभा में यह विधेयक गत 28 मार्च को पारित हुआ था।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे उच्च सदन की बैठक जब शुरू हुई तब विपक्षी सदस्यों के एसआईआर मुद्दे पर हंगामे के बीच विधेयक पर चर्चा को आगे बढ़ाया गया।
विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के बाद पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा कि यह विधेयक लगभग 100 वर्ष पुराने भारतीय समुद्र द्वारा माल ढुलाई अधिनियम, 1925 की जगह लेगा। उन्होंने कहा कि नया विधान औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।
उन्होंने कहा, ‘‘समुद्र द्वारा माल वहन के क्षेत्र में देश को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हमें (पुराने अधिनियम में) बदलाव लाने की जरूरत थी, इसलिए यह विधेयक लाया गया।’’
उनके अनुसार, नये विधेयक में भारत में एक बंदरगाह से दूसरे बंदरगाह या दुनिया के किसी भी बंदरगाह तक माल की ढुलाई की जिम्मेदारियों, देनदारियों, अधिकार और छूट से संबंधित प्रावधान किए गए हैं।
मंत्री के जवाब के बाद ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी गई।
विधेयक को पारित किए जाने के दौरान माकपा सदस्य जॉन ब्रिटास ने एक संशोधन पेश किया और मत विभाजन कराए जाने पर ज़ोर दिया। कई अन्य विपक्षी सांसदों ने भी मत विभाजन की मांग का समर्थन किया। लेकिन कई सदस्य अपनी सीट पर नहीं थे और सदन ने विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
नए विधेयक में 1925 के अधिनियम के सभी प्रावधान बरकरार हैं। मूल कानूनी ढांचे को बरकरार रखते हुए, कानून को समकालीन बनाने का प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक के कानून बनने पर भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुद्री संधियों के साथ तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी। यह कार्यकारी अधिसूचनाओं पर संसदीय निगरानी का प्रावधान करके पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित करता है।
सरकार द्वारा जारी एक वक्तव्य के अनुसार, यह विधेयक भाषा और संरचना को सरल बनाता है, जिससे कानून विशेष रूप से भारतीय निर्यातकों, आयातकों और पोत परिवहन पेशेवरों के लिए अधिक सुलभ हो जाएगा।
इसके अलावा, विधेयक सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुद्री घोषणापत्रों में हो रहे परिवर्तनों के अनुसार जल्दी बदलाव की शक्ति देता है और कार्यपालिका द्वारा जारी अधिसूचनाओं पर संसदीय निगरानी का भी प्रावधान करता है जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
यह विधेयक माल भेजने वालों और ढुलाई करने वालों के बीच बेहतर तालमेल कायम करेगा और विश्वसनीयता को बढ़ाएगा। विधेयक में यह सुनिश्चित किया गया है कि माल ढुलाई करने वाले पोत अपने दायित्वों का निर्वहन करें, ताकि माल सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंच सके।
भाषा अविनाश मनीषा
अविनाश