दिल्ली विधानसभा में फांसीघर विवाद: मुख्यमंत्री ने इसे शहीदों का अपमान बताया
राजकुमार देवेंद्र
- 06 Aug 2025, 09:33 PM
- Updated: 09:33 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बुधवार को दिल्ली विधानसभा भवन के एक खंड को कथित तौर पर फांसीघर के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किये जाने की विस्तृत जांच कराये जाने तथा प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की और कहा कि साइनबोर्ड हटाया जाना चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि 2022 में जिस कक्ष का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उद्घाटन किया, वह रिकार्ड के अनुसार वास्तव में एक ‘‘टिफिन रूम’’ था।
विधानसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली ‘आप’ सरकार के दावे ‘‘इतिहास का घोर विरूपण, राष्ट्रीय शहीदों का अपमान और जनता के भरोसे के साथ विश्वासघात’’ हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने जनता की सहानुभूति हासिल करने के लिए सुविचारित प्रयास के तहत बिना किसी दस्तावेजी सबूत या ऐतिहासिक प्रामाणिकता के विधानसभा परिसर के एक हिस्से को फांसीस्थल घोषित कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘केजरीवाल हमेशा सोची-समझी राजनीतिक नौटंकी करते रहे हैं। हर हाव-भाव, पहनावा और बयान राजनीतिक मकसद से सोच-समझकर रचा गया था। ईमानदारी, देशभक्ति और बलिदान की आड़ में लोगों को गुमराह किया गया। यह सब एक नाटक था।’’
केजरीवाल पर ‘‘कई’’ डिग्रियां होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनके हर कदम के पीछे कोई न कोई वजह होती है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘चाहे मफलर पहनना हो, ढीली कमीज पहनना हो या टूटी चप्पलें पहनना हो, उनका हर कदम बेहद सोच-समझकर उठाया जाता है।’’
ऐतिहासिक अभिलेखों का हवाला देते हुए, रेखा गुप्ता ने स्पष्ट किया कि विधानसभा भवन का निर्माण 1912 में हुआ था और 1913 से 1926 तक ‘इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ के सत्रों के लिए यह स्थल था।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और सदन से आग्रह किया कि वे विधानसभा परिसर से ‘‘फांसीघर’’ का उल्लेख करने वाले "भ्रामक" साइनबोर्ड को तुरंत हटा दें।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 24 और 25 अगस्त को यहां होने वाले अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन से पहले यह "सुधार" विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, ताकि देशभर के गणमान्य व्यक्तियों को इतिहास का गलत संस्करण प्रस्तुत न किया जाए और दिल्ली विधानसभा की प्रतिष्ठा बरकरार रहे।
मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि इस "झूठे विमर्श" को बढ़ावा देने के लिए करदाताओं के लगभग एक करोड़ रुपये खर्च किए गए। उन्होंने पूरी राशि की वसूली, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और विस्तृत जांच की मांग की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस क्षेत्र को अब "झूठे से" "फांसी घर" के रूप में चित्रित किया जा रहा है, वह मूल रूप से ब्रिटिश अधिकारियों के लिए एक सेवा सीढ़ी थी और इसका उपयोग टिफिन सेवा और रसद उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, पुरानी दिल्ली जेल, जहां फांसी दी जाती थी, का वास्तविक स्थल उस जगह पर स्थित था जिसे अब मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज कहा जाता है।
रेखा गुप्ता ने कहा, ‘‘इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत करना न केवल जनता को गुमराह करना है बल्कि हमारे शहीदों के बलिदान का भी अपमान करना है।’’
भाषा राजकुमार