आधुनिक उपकरणों को धराली तक पहुंचाना प्राथमिकता : अधिकारी
दीप्ति गोला
- 07 Aug 2025, 11:30 AM
- Updated: 11:30 AM
(तस्वीर के साथ)
उत्तरकाशी, सात अगस्त (भाषा) भीषण बाढ़ से तबाह हुए धराली गांव में उन्नत और आधुनिक उपकरण पहुंचाने के प्रयास बृहस्पतिवार को तेज कर दिए गए ताकि मलबे में दबे लोगों की तलाश और सड़कों के टूटने व अवरुद्ध होने के कारण जिले में विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकाले जाने का काम रफ्तार पकड़ सके।
राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के महानिरीक्षक अरूण मोहन जोशी ने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता आज उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग के जरिए मौके पर पहुंचाना है। उन्नत उपकरणों के साथ आ रही हमारी टीम बुधवार को सड़कों के अवरूद्ध होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं।’’
उन्होंने बताया कि धराली में 50 से 60 फुट ऊंचा मलबे का ढेर है और आपदा में लापता लोग उसके नीचे फंसे हो सकते हैं।
जोशी ने बताया कि उन्नत उपकरण विशाल मलबे में लापता लोगों की तलाश करने में बचाव कर्मियों की मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि दूसरी प्राथमिकता अवरूद्ध मार्गों के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकालना है। उन्होंने बताया कि उनकी संख्या 300-400 हो सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि सुबह 10 बजे तक 61 लोगों को हेलीकॉप्टर से आईटीबीपी मातली लाया जा चुका है। बाहर निकाले गए लोगों को उनके गंतव्य तक भेजने के प्रबंध भी किए जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अलावा, लापता लोगों में मजदूर भी हो सकते हैं क्योंकि बाढ़ आने के समय कई होटल निर्माणाधीन थे। इसके अतिरिक्त ऐसा बताया जा रहा है कि आपदा के समय धराली में सेब के बागानों में भी कई मजदूर काम कर रहे थे।
लापता लोगों में निकटवर्ती हर्षिल में प्रभावित हुए सेना के एक शिविर के 11 सैनिक भी शामिल हैं।
धराली गंगोत्री धाम की ओर जाने वाले रास्ते में पड़ने वाला एक प्रमुख पड़ाव है जो मंदिर से 20 किलोमीटर पहले पड़ता है।
अधिकारियों ने बताया कि लापता लोगों को ढूंढने के लिए ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ और खोजी कुत्तों की भी मदद लिए जाने की संभावना है।
बचावकर्मियों ने बुधवार को दो शव बरामद किए थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बचाव कार्यों की निगरानी के लिए बुधवार से यहां डेरा डाले हुए हैं। मौसम में सुधार होने और सड़कों पर से अवरोध हटाने से बचाव कार्य में तेजी आने की संभावना है।
मंगलवार दोपहर बाद बादल फटने से खीरगंगा नदी में आयी भीषण बाढ़ में आधा धराली गांव तबाह हो गया था ।
भाषा दीप्ति