ममता ने चार अधिकारियों को निलंबित करने के निर्वाचन आयोग के निर्देश पर सवाल उठाया
शफीक दिलीप
- 07 Aug 2025, 04:39 PM
- Updated: 04:39 PM
कोलकाता, सात अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग द्वारा दो राज्य सिविल सेवकों सहित चार अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी सरकार अपने कर्मचारियों के साथ है।
मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में चार अधिकारियों- दो निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और दो सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) तथा एक डाटा एंट्री ऑपरेटर एवं एक अस्थायी कर्मचारी- को निलंबित करने का आदेश दिया। इन अधिकारियों पर दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों के क्रमश: बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करते समय अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
आयोग ने साथ ही संबंधित अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया।
आयोग के निर्देश पर सवाल उठाते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि निर्वाचन आयोग केवल चुनाव की घोषणा की तारीख से ही कार्रवाई कर सकता है।’’
पश्चिम बंगाल में 2026 के मध्य में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस बात पर तीखी राजनीतिक बहस चल रही है कि क्या पड़ोसी राज्य बिहार की तर्ज पर राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) किया जाएगा।
बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार राज्य सरकार के सभी अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के साथ है।
सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बनर्जी ने सवाल उठाया कि किस नियम के तहत निलंबन का आदेश दिया गया, और दावा किया कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने पूछा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि निर्वाचन आयोग चुनावों की घोषणा की तारीख से ही कोई कार्रवाई कर सकता है। अभी चुनावों में बहुत समय बाकी है, क्या उन्हें लगता है कि वे एनआरसी के नाम पर किसी को भी धमका सकते हैं?’’
मुख्यमंत्री आरोप लगा रही हैं कि आयोग एसआईआर की आड़ में ‘‘पिछले दरवाजे से’’ एनआरसी लागू करने की कोशिश कर रहा है।
मतदाता सूची से असली मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री बनर्जी ने सभी से अपने नाम फिर से दर्ज कराने का आग्रह किया।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने पूछा कि उनके जैसे बहुत पहले पैदा हुए सभी लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र कैसे हो सकते हैं, क्योंकि कई लोग घर पर ही पैदा हुए थे या विभिन्न प्राकृतिक कारणों से उनके दस्तावेज खो गए हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘क्या कानून बनाने वालों के पास सभी उचित दस्तावेज हैं?’’
बांग्ला भाषा के मुद्दे पर लगातार विरोध दर्ज करा रहीं बनर्जी ने जोर देकर कहा कि मातृभाषा सभी का गौरव है। उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को बांग्ला भाषा बोलने के कारण दूसरे राज्यों में अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है।
बनर्जी ने कहा कि 2,000 से ज्यादा लोगों को उनके मूल स्थानों पर वापस लाया गया है। बनर्जी ने आरोप लगाया कि कुछ भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और कुछ को जबरन बांग्लादेश भेजा जा रहा है।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लोकसभा में नेता अभिषेक बनर्जी ने बृहस्पतिवार को निर्वाचन आयोग पर तीखा हमला बोला और उस पर अपनी संवैधानिक निष्पक्षता से समझौता करने और पश्चिम बंगाल के वास्तविक नागरिकों के मताधिकार को कमजोर करने का आरोप लगाया।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर एक संयुक्त रणनीति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर चर्चा के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आवास पर आयोजित रात्रिभोज में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना होने से पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग को यह भी समझना होगा कि यह एक निष्पक्ष संस्था है और इसे संविधान के दायरे में काम करना होगा।’’
टीएमसी सांसद ने आयोग पर वैध मतदाताओं को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने में ‘‘सक्रिय भूमिका’’ निभाने का आरोप लगाया।
भाषा शफीक