बांग्लादेश निर्वासित एक और प्रवासी श्रमिक के पिता ने उच्च न्यायालय का रुख किया
धीरज अविनाश
- 07 Aug 2025, 07:15 PM
- Updated: 07:15 PM
कोलकाता, सात अगस्त (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न के आरोपों के बीच, पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के एक निवासी के पिता ने बृहस्पतिवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया और अपने बेटे को ‘अवैध आप्रवासी’ करार देने के बाद उसे बांग्लादेश भेजने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी।
पिता जीयम शेख ने आरोप लगाया कि उनके 19 वर्षीय बेटे आमिर शेख को पहले राजस्थान में राज्य पुलिस द्वारा गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया और बाद में उसे बांग्लादेश भेज दिया गया। उन्होंने दावा कि आमिर कुछ महीने पहले काम की तलाश में वहां गया था।
शेख ने बेटे को वापस लाने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। बंदी प्रत्यक्षीकरण एक कानूनी रिट है जिसके तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसकी हिरासत की वैधता तय करने के लिए अदालत के समक्ष पेश किया जाता है।
जीयम शेख का परिवार मालदा के कालियाचौक थाने के अंतर्गत जलालपुर गांव में रहता है। परिवार का दावा है कि आमिर को राजस्थान पुलिस ने लगभग दो महीने तक निरुद्ध शिविर में रखा, जबकि उसने अधिकारियों को भारतीय नागरिकता के प्रमाण के रूप में अपना आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र दिखाया था।
परिवार का दावा है कि वह पीढ़ियों से मालदा में रह रहा है। उसने आरोप लगाया कि वे एक सोशल मीडिया क्लिप के माध्यम से यह जानकर स्तब्ध रह गए कि जुलाई के अंत में आमिर को सीमा पार बांग्लादेश भेज दिया गया है।
पश्चिम बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य समीरुल इस्लाम ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘आमिर शेख... को भाजपा शासित राजस्थान पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया और बांग्लादेश भेज दिया। वह न तो रोहिंग्या हैं और न ही बांग्लादेशी। बांग्ला भाषी भारतीय नागरिक होने के बावजूद, उन्हें जबरन सीमा पार भेज दिया गया। उनके परिवार के पास आजादी से पहले के जमीन के रिकॉर्ड हैं।’’
आमिर के परिवार की ओर से यह कानूनी कदम बीरभूम जिले के मुरारई के पाइकर क्षेत्र के दो परिवारों द्वारा उच्च न्यायालय में दायर की गई इसी तरह की याचिकाओं के बाद उठाया गया है।
दो परिवारों के कम से कम छह प्रवासी सदस्यों, जिनमें दो महिलाएं - सोनाली बीबी और स्वीटी बीबी - और 5 से 16 वर्ष की आयु के तीन नाबालिग बच्चे शामिल थे, को जून में राष्ट्रीय राजधानी के रोहिणी सेक्टर 26 में बंगाली बस्ती से दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लेने के बाद कथित तौर पर पड़ोसी देश भेज दिया गया था।
भाषा धीरज