अमेरिकी शुल्क से झींगा, कपड़ा, आभूषण निर्यात में आ सकती है 70 प्रतिशत तक की गिरावट : जीटीआरआई
रमण अजय
- 07 Aug 2025, 08:37 PM
- Updated: 08:37 PM
नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) शोध संस्थान जीटीआरआई ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क लगाने से झींगा, जैविक रसायन, परिधान और आभूषण सहित नौ उत्पाद श्रेणियों के निर्यात पर 50-70 प्रतिशत तक असर पड़ेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत से आने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की। इससे कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया। यह अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल की खरीद को लेकर बतौर जुर्माना लगाया गया है। 50 प्रतिशत शुल्क 27 अगस्त से लागू होगा।
यह सामान्य अमेरिकी आयात शुल्क के अतिरिक्त है। उस शुल्क सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) शुल्क कहा जाता है,
इस निर्णय से भारत अमेरिका के सबसे अधिक शुल्क वाले व्यापार साझेदारों में से एक बन गया है। शुल्क के मामले में भारत की स्थिति चीन (30 प्रतिशत), वियतनाम (20 प्रतिशत) से भी खराब है और यह ब्राजील के बराबर है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने अपने विश्लेषण में भारत के निर्यात खंडों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। ये श्रेणियां हैं... बहुत अधिक प्रभाव वाले क्षेत्र (निर्यात में 50-70 प्रतिशत की कमी आ सकती है), उच्च प्रभाव वाले क्षेत्र (निर्यात में 30-50 प्रतिशत की कमी आ सकती है) तथा कम या कोई प्रभाव नहीं वाले क्षेत्र।
पहली श्रेणी में नौ उत्पाद श्रेणी... झींगा, जैविक रसायन, कालीन, बुने हुए परिधान, मेड-अप, हीरे, सोना और आभूषण, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण, तथा फर्नीचर और बिस्तर... हैं।
उच्च प्रभाव वाले खंड में शामिल वस्तुओं में इस्पात, एल्युमीनियम, तांबा और वाहन कलपुर्जे हैं।
जीटीआरआई के अनुसार, अंतिम श्रेणी की वस्तुएं औषधि, स्मार्टफोन और पेट्रोलियम उत्पाद हैं।
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को दो अरब डॉलर मूल्य के झींगे का निर्यात किया, जो कुल अमेरिकी झींगा आयात का 9.52 प्रतिशत है।
अब इन पर 50 प्रतिशत शुल्क, डंपिंग रोधी शुल्क और 10 प्रतिशत का प्रतिपूरक शुल्क लगाया जा रहा है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत को कनाडा (16.16 प्रतिशत हिस्सेदारी, यूएसएमसीए के तहत शून्य टैरिफ) और चिली (15.02 प्रतिशत हिस्सेदारी, 10 प्रतिशत टैरिफ) से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इतने अधिक शुल्कों के कारण, भारतीय झींगे के लिए चिली जैसे कम कर वाले प्रतिस्पर्धियों के हाथों महत्वपूर्ण स्थान खोने का जोखिम है।’’
भारत ने अमेरिका को 2024-25 में 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के कार्बनिक रसायन का निर्यात किया। इसकी बाजार हिस्सेदारी 5.11 प्रतिशत है। अब उस पर कुल 54 प्रतिशत शुल्क (चार प्रतिशत एमएफएन जमा 50 प्रतिशत ट्रंप शुल्क) का सामना करना पड़ रहा है।
इसके विपरीत, आयरलैंड (36.11 प्रतिशत हिस्सेदारी) केवल 15 प्रतिशत और स्विट्जरलैंड (6.46 प्रतिशत) 39 प्रतिशत शुल्क का भुगतान करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय रसायन निर्यातकों को इन कम शुल्क वाले आपूर्तिकर्ताओं के सामने प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए जूझना होगा।’’
भाषा रमण