नियम 267 के नोटिस सदन में अव्यवस्था पैदा करने के उपकरण के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे : हरिवंश
मनीषा माधव
- 08 Aug 2025, 01:04 PM
- Updated: 01:04 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को उपसभापति हरिवंश ने विभिन्न मुद्दों पर नियत कामकाज स्थगित कर नियम 267 के तहत चर्चा करने के लिए लगातार नोटिस दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि प्रतीत होता है कि नियम 267 के तहत नोटिस सदन में अव्यवस्था उत्पन्न करने के उपकरण के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर विपक्षी सदस्यों ने इस नियम के तहत दिये जाने वाले नोटिसों को लगातार खारिज करने की ओर ध्यान दिलाते हुए मांग की कि इस नियम को समाप्त ही कर दिया जाए।
उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें विभिन्न मुद्दों पर आज के लिए नियत कामकाज स्थगित कर नियम 267 के तहत चर्चा करने के लिए 20 नोटिस मिले हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ध्यान देने की बात है कि सदस्य विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए बार-बार कार्य स्थगन नोटिस दे रहे हैं। आज मिले नोटिसों में पांच अलग-अलग मुद्दों पर कार्य स्थगित कर चर्चा की मांग की गई है। प्रतीत होता है कि नियम 267 के तहत नोटिस सदन में अव्यवस्था उत्पन्न करने के उपकरण के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।’’
उपसभापति ने कहा कि एक ही पार्टी के विभिन्न सदस्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस देते हैं और इतने नोटिस पर एक साथ कैसे चर्चा हो सकती है।
उन्होंने नियम 267 तथा नोटिस के संबंध में उच्च सदन के पूर्व सभापतियों हामिद अंसारी और एम वेंकैया नायडू द्वारा पूर्व में दी गई व्यवस्था का जिक्र करते हुए बताया कि ये नोटिस आसन की ओर से अस्वीकार कर दिए गए हैं।
विपक्षी सदस्यों ने इस पर विरोध जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। हरिवंश ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की।
आसन की अनुमति से तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि विपक्षी सदस्य सोमवार को एसआईआर के मुद्दे पर ही नोटिस देंगे और उस पर चर्चा होनी चाहिए।
माकपा के जॉन ब्रिटॉस ने राज्यसभा की कार्य संचालन नियमावली का हवाला देते हुए कहा कि नियम 267 में स्पष्ट कहा गया है कि सदस्य कैसे अपने मुद्दे इस नियम के तहत उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि या तो इस नियम के तहत चर्चा की अनुमति दी जाए या इस नियम को समाप्त कर दिया जाए।
द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा कि सदन की कार्यवाही से संबंधित नियम स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा ‘‘हर दिन आप बताते हैं कि नोटिस खारिज किए गए। आप साफ-साफ कारण बता दें कि क्यों नोटिस खारिज किए गए।’’
उन्होंने कहा कि नियम सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं होने चाहिए, उन्हें लागू भी किया जाना चाहिए।
हरिवंश ने कहा कि उन्होंने पहले दी गई व्यवस्था में स्पष्ट उल्लेख किया था कि नोटिस क्यों अस्वीकार किए जाते हैं।
नियम 267 राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित करने की विशेष शक्ति देता है। अगर किसी मुद्दे को नियम 267 के तहत स्वीकार किया जाता है तो यह दर्शाता है कि यह आज का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा है।
राज्यसभा की नियम पुस्तिका में कहा गया है, ‘‘कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव कर सकता है। वह प्रस्ताव ला सकता है कि उस दिन की परिषद के समक्ष सूचीबद्ध एजेंडे को निलंबित किया जाए। अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है तो विचाराधीन कामकाज को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया जाता है।’’
भाषा
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