एफटीए से भारत को चीन से यूरोपीय संघ, ब्रिटेन को होने वाले आयात में मिल सकती हिस्सेदारी: बीसीजी
निहारिका रमण
- 08 Aug 2025, 04:21 PM
- Updated: 04:21 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के भारत प्रमुख राहुल जैन ने कहा कि यूरोपीय संघ के साथ भारत के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से 875 अरब डॉलर के बाजार तक पहुंच मिल सकती है।
बीसीजी के अनुसार, इसके साथ ही आसियान देशों के साथ शुल्क समानता आ सकती है।
भारत और ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर पिछले महीने हस्ताक्षर किए जिससे ब्रिटिश व्हिस्की, कारों व कई वस्तुओं पर शुल्क में कमी आएगी। साथ ही द्विपक्षीय व्यापार में सालाना लगभग 34 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होगी। इस मुक्त व्यापार समझौते से 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात को शुल्क से लाभ होने की उम्मीद है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ वैश्विक व्यापार परिवेश एक संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जहां भू-राजनीति और आर्थिक राष्ट्रवाद लागत-दक्षता व तुलनात्मक लाभ के समान ही महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। आज व्यापार साझेदार देशों के लिए तरजीही पहुंच, विरोधियों के लिए दंडात्मक शुल्क और प्रतिबंधों तथा रणनीतिक क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को पुनर्गठित करने वाले प्रोत्साहनों से तेजी से प्रभावित हो रहा है।’’
जैन ने कहा कि भारत अपनी रणनीतिक स्थिति, विशाल घरेलू उपभोग आधार, अनुकूल जनसांख्यिकी व कार्यबल तथा विनिर्माण एवं प्रौद्योगिकी-संचालित विकास की दिशा में नीतिगत प्रोत्साहन का लाभ उठाने की विशिष्ट स्थिति में है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा हाल ही में अधिकतर भारतीय निर्यातों पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के साथ यह लाभ और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
जैन ने कहा कि ब्रिटेन और संभवतः यूरोपीय संघ तक तरजीही पहुंच नए बढ़ते बाजार प्रदान कर सकती है, विशेष रूप से श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए जो बढ़ते अमेरिकी संरक्षणवाद के विरुद्ध एक मूल्यवान सुरक्षा कवच प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ चीन+1 रणनीति को अपनाने में तेजी से वृद्धि भारत को सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक और दुर्लभ खनिजों जैसे उभरते क्षेत्रों में चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने का एक प्रमुख अवसर प्रदान करती है।’’
साथ ही भारतीय निर्यातकों को उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार लाने और कड़े पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने में विशेष रूप से यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) जैसी व्यवस्थाओं के तहत निवेश करना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं ने 2020 से 20.3 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके परिणामस्वरूप घरेलू उत्पादन में 191 अरब अमेरिकी डॉलर और लगभग 10 लाख नौकरियों का सृजन हुआ है।
जैन ने कहा कि सफलता की कहानियों में दवा, इलेक्ट्रॉनिक, एसी व फ्रिज जैसी घरेलू उपभोग की इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं और सौर पीवी विनिर्माण शामिल हैं। भारत अब वित्त वर्ष 2024-25 में वैश्विक आईफोन का करीब 20 प्रतिशत उत्पादन कर रहा है, जिसका लक्ष्य 2026-27 तक 32 प्रतिशत उत्पादन करना है।
भाषा निहारिका