पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने ‘फांसी घर’ जांच की आलोचना की, विधायकों की विशेषज्ञता पर उठाए सवाल
धीरज दिलीप
- 08 Aug 2025, 10:17 PM
- Updated: 10:17 PM
(सलोनी भाटिया)
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता द्वारा ‘फांसी घर’ के उद्घाटन की जांच का निर्देश विशेषाधिकार समिति को दिये जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को इस फैसले की आलोचना की और सवाल किया कि क्या विधायक इस तरह के ऐतिहासिक मामले पर विचार-विमर्श करने के योग्य हैं।
गुप्ता ने बृहस्पतिवार को कहा था कि दिल्ली विधानसभा परिसर में कोई फांसीघर नहीं है और इस मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजा जाएगा, जो पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित अन्य को तलब करेगी।
आतिशी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा करने के बजाय केवल फांसी घर के मुद्दे पर चर्चा हो रही है। उन्होंने इस कदम को विचित्र बताया, जिसके तहत समिति द्वारा केजरीवाल को तलब किया जा सकता है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने आरोप लगाया, ‘‘मैंने झुग्गी-झोपड़ियों को ढहाने पर चर्चा के लिए बार-बार नोटिस दिया है। उस पर कोई चर्चा नहीं हुई। मैंने दिल्ली में कानून-व्यवस्था की स्थिति और तय उम्र पार कर चुके वाहनों पर प्रतिबंध पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था, लेकिन कोई चर्चा नहीं हुई।’’
विधानसभाध्यक्ष गुप्ता ने कहा था कि 2022 में जिस कक्ष का जीर्णोद्धार किया गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उद्घाटन किया, वह रिकार्ड के अनुसार वास्तव में एक ‘‘टिफिन रूम’’ था।
आतिशी ने सवाल किया, ‘‘ चार दिनों तक एकमात्र मुद्दे पर चर्चा हुई, वह था फांसी घर...क्या सदन में 70 लोगों में से कोई इस पर बोलने के लिए योग्य है?’’ उन्होंने सुझाव दिया कि इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की एक समिति को इस मामले पर गौर करना चाहिए और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।
गुप्ता ने विधानसभा परिसर का 1912 का नक्शा दिखाते हुए बुधवार को कहा कि ऐसा कोई दस्तावेज या साक्ष्य नहीं है जो यह दर्शाता हो कि इस स्थान का इस्तेमाल फांसी देने के लिए किया गया था।
आतिशी ने कहा, ‘‘ देखिए, उक्त नक्शा 1911-12 का है। 1931 तक यह विधानसभा थी। 1931 के बाद यहां कमिश्नरी चलती थी और उच्च न्यायालय की पीठ बैठती थी। अंग्रेज खुलेआम फांसी नहीं देते थे। वे इसे छिपाते थे।’’ उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने भी लिखा है कि कैसे सभी फांसी गुप्त रूप से दी जाती थीं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘तो, 70 सदस्यों वाले सदन में इस मुद्दे पर बोलने के लिए कौन सक्षम है? आपको कहना चाहिए था कि हम चार इतिहासकारों और तीन पुरातत्वविदों की एक समिति बना रहे हैं। उन्हें रिपोर्ट पेश करने दीजिए।’’
आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से इसी विषय में स्नातकोत्तर किया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने गुप्ता के निर्देशों पर सवाल उठाते हुए ने कहा, ‘‘अरविंद केजरीवाल का इसमें क्या योगदान था? उन्होंने तो बस इसका उद्घाटन किया। यह ऐसा है जैसे कोई मंत्री आशीष सूद किसी को पुरस्कार देने जाए। फिर उन्हें पता चले कि चयन गलत था। क्या वह जिम्मेदार हैं? नहीं। उन्हें तो बस पुरस्कार देने के लिए बुलाया गया था।’’
उन्होंने कहा कि केजरीवाल को सिर्फ फांसीघर का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया था और फांसीघर के अस्तित्व पर चर्चा सिर्फ सदन का समय बर्बाद करने के लिए की जा रही थी।
भाषा धीरज