संशोधित राष्ट्रीय आयु धोखाधड़ी विरोधी संहिता पर परामर्श पूरा
आनन्द
- 08 Aug 2025, 09:20 PM
- Updated: 09:20 PM
... पूनम मेहरा ...
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) खेलों में उम्र संबंधी धोखाधड़ी के खिलाफ राष्ट्रीय संहिता (एनसीएएएफएस) 2025 के मसौदे को खेल मंत्रालय ने अगले सप्ताह केन्द्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजने की तैयारी कर ली है।
इसमें आयु धोखाधड़ी उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान के साथ खिलाड़ियों की सही उम्र का पता लगाने के लिए एआई-आधारित हड्डी आंकलन की बात कही गई है।
खेल मंत्रालय ने इस साल मार्च में एनसीएएएफएस को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए ऑनलाइन पोस्ट किया गया था। खेल मंत्रालय के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया कि यह प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है।
सूत्र ने कहा, ‘‘ लगभग 15 साल बाद संशोधित होने वाली इस संहिता को अगले सप्ताह मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। चूंकि यह एक संहिता है ऐसे में मंत्रिमंडल की मंजूरी ही पर्याप्त होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें आम जनता से बहुत सारी प्रतिक्रिया मिली और उन सभी की जांच की गई है। यह संहिता मोटे तौर पर उसी रूप में रहेगी, जिस तरह इसे इस साल परामर्श प्रक्रिया के लिए तैयार किया गया था।’’
भारतीय खेलों में युवा और जूनियर स्तर पर आयु धोखाधड़ी एक बड़ी समस्या रही है, जहां चिकित्सा जांच के प्रावधानों के बावजूद अक्सर अधिक आयु के एथलीट प्रतिस्पर्धा करते हुए पकड़े जाते हैं।
संशोधित संहिता के अनुसार सभी इच्छुक और पंजीकृत खिलाड़ियों को आयु सत्यापन के लिए तीन अनिवार्य दस्तावेज जमा करने होंगे। इसमें जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड/मतदाता पहचान पत्र/पासपोर्ट/पैन कार्ड और स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र/मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र शामिल है।
इसके बाद दस्तावेज़ सत्यापन भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) द्वारा किया जाएगा। मंत्रालय अब तक आयु धोखाधड़ी की घटनाओं का रिकॉर्ड नहीं रखता रहा है।
इस तरह के मामलों के लिए अब तक 2010 की एनसीएएएफएस की मदद ली जाती थी लेकिन इसमें उल्लंघन करने वालों के लिए सजा का प्रावधान नहीं था। संशोधित संहिता में पहली बार अपराध करने वाले एथलीटों के लिए दो साल के प्रतिबंध की सिफारिश की गई है।
दूसरी बार उल्लंघन करने पर आजीवन प्रतिबंध लगेगा और ‘भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी।’
संहिता में कहा गया है, ‘‘सभी मौजूदा पंजीकृत एथलीट दस्तावेज को साइ या एनएसएफ को अनिवार्य तौर पर जमा करेंगे। ऐसे मामलों में जहां कोई दस्तावेज गुम हो गया हो या दस्तावेजों की प्रामाणिकता के बारे में संदेह है, खिलाड़ियों को मेडिकल जांच के लिए भेजा जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आयु सत्यापन के बाद, एथलीट की आयु एक समर्पित डेटाबेस में स्थायी रूप से दर्ज की जाएगी। यह रिकॉर्ड अपरिवर्तनीय रहेगा और एथलीट के पूरे खेल करियर के दौरान आयु के निश्चित प्रमाण के रूप में काम करेगा।’’
संहिता में एक बार की माफी योजना का प्रावधान है, जो मौजूदा एथलीटों को नीति लागू होने के छह महीने के भीतर अपनी सही आयु साइ या संबंधित एनएसएफ को स्व-घोषित करने की अनुमति देगा।
आयु को मेडिकल जांच के माध्यम से संबोधित किया जाएगा। इसमें पारंपरिक टीडब्ल्यू 3 विधि (हड्डी के विकास के आधार पर हड्डी की उम्र का अनुमान) एमआरआई स्कैन, और सामान्य शारीरिक और दांतों की जांच शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मामले में सटीकता और क्षमता बढ़ाने के लिए उन्नत एआई-आधारित प्रौद्योगिकियां (जैसे बोनेक्सपर्ट) एक पायलट चरण में शुरू की जा सकती हैं।’’
‘बोनेक्सपर्ट’ किसी बच्चे के हाथ के एक्स-रे का विश्लेषण स्वचालित रूप से करता है, बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के, ताकि हड्डी की उम्र का पता लगाया जा सके।
संहिता में एक ‘व्हिसिलब्लोअर’ तंत्र भी है, जहां ₹5,000 रुपये के शुल्क को देकर गोपनीयता के साथ उम्र धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की जा सकती हैं। यह शिकायत अगर सही पाई जाती हैं, तो खेल मंत्रालय न केवल शुल्क वापस करेगा बल्कि उल्लंघन की रिपोर्ट करने वाले को अतिरिक्त ₹2,000 रुपये का भुगतान भी करेगा।
चिकित्सा परीक्षण रिपोर्ट से असंतुष्ट एथलीट आकलन के 15 दिनों के भीतर साइ के क्षेत्रीय निदेशक या अपने संबंधित राष्ट्रीय खेल संघों की तीन सदस्यीय समिति के पास अपील दायर कर सकेंगे।
मसौदे के अनुसार प्रतिकूल फैसले को केंद्रीय अपील समिति (सीएसी) में चुनौती दी जा सकेगी, जिसका नेतृत्व साइ के महानिदेशक करेंगे। सीएसी का निर्णय हालांकि बाध्यकारी होगा।
राष्ट्रीय खेल संघों को इन प्रावधानों के अनुपालन की रिपोर्ट द्विवार्षिक रूप से जमा करनी होगी और उनकी फंडिंग को इससे जोड़ा जाएगा।
भाषा आनन्द