उत्तरकाशी में 650 लोगों को बाहर निकाला गया, सेना ने नदी पर पुल बनाया
दीप्ति जोहेब
- 08 Aug 2025, 10:22 PM
- Updated: 10:22 PM
(फोटो के साथ)
उत्तरकाशी, आठ अगस्त (भाषा) आपदाग्रस्त धराली में मलबे के ऊंचे ढेरों के बीच शुक्रवार को खोजी कुत्तों, ड्रोन और बचावकर्मियों की सहायता से लापता लोगों की तलाश जारी रही जबकि फंसे हुए 250 श्रद्धालुओं तथा स्थानीय व्यक्तियों को बाहर निकाल लिया गया।
चार दिन पहले बादल फटने के कारण खीरगाड़ बरसाती नाले में आयी भीषण बाढ़ में आधा धराली गांव तबाह हो गया था तथा कई लोग लापता हो गए थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मंगलवार से अब तक 650 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है जिनमें से 400 बृहस्पतिवार को और 250 अन्य लोग शुक्रवार को निकाले गए। उन्होंने कहा कि शेष लोगों को भी जल्द ही निकाल लिया जाएगा।
उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तीन दिन तक बाधित रही संचार सेवाएं शुक्रवार को बहाल हो गयी। अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि इससे बचाव कार्यों में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
धराली से लौटने के बाद धामी ने संवाददाताओं से कहा, “इंटरनेट कनेक्टिविटी बहाल हो गयी है। प्रभावित क्षेत्र में एयरटेल ने काम करना शुरू कर दिया है। इससे बचाव अभियान में तेजी आएगी।”
हालांकि, उन्होंने कहा कि धराली, हर्षिल और उत्तरकाशी के बीच सड़के अवरूद्ध हैं या टूटी हुई हैं और बिजली आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित है।
उन्होंने कहा कि एक जनरेटर सेट उत्तरकाशी लाया गया है जिसे प्रभावित क्षेत्र में पहुंचाया जाएगा।
बचाव और राहत कार्यों पर करीब से निगाह रखने के लिए तीन दिन तक यहां डेरा डाले रहे मुख्यमंत्री ने कहा, 'स्थिति निश्चित रूप से कठिन है लेकिन हम जल्दी से जल्दी चीजों को पटरी पर वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि गंगनानी के पास लिंचागाड़ पर बैली पुल बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
गढ़वाल के आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय ने कहा कि यह पुल दो दिन में तैयार हो जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि पांच अगस्त को आयी आपदा में चार लोगों की मृत्यु हो गयी थी। आपदा स्थल से बुधवार को दो शव बरामद किये गए हैं।
उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, आपदा में सेना के नौ जवानों समेत 16 लोग लापता हुए हैं।
हालांकि, धराली के पास स्थित मुखबा तथा अन्य गांवों के लोगों का कहना है कि आपदा में लापता हुए लोगों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती हैं क्योंकि घटना के समय वहां निर्माणाधीन होटलों में काम कर रहे नेपाल और बिहार के मजदूर तथा होटलों में रुके पर्यटक भी थे।
धराली, गंगोत्री के रास्ते में पड़ने वाला एक प्रमुख पड़ाव है।
उत्तराखंड राज्य आपदा नियंत्रण प्राधिकरण ने बताया कि घटनास्थल पर बचाव एवं राहत कार्यों में सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादान बल और पुलिस के 800 से ज्यादा बचावकर्मी जुटे हैं।
जीवित बचे लोगों को ढूंढने तथा मलबे के विशाल ढेर के नीचे दबे शवों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों और रडारों का उपयोग किया जा रहा है।
बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए सेना ने भागीरथी नदी पर एक पुल बना दिया है।
सेना के एक अधिकारी ने कहा, “आज हमने भागीरथी नदी पर पुल बना दिया है जिसका उपयोग करके घायलों और फंसे हुए पर्यटकों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा रहा है।”
लोगों को अपने परिजनों से संपर्क करने में मदद के लिए सेना ने सैटेलाइट और रेडियो रिले प्रणाली समेत अपना संचार नेटवर्क सक्रिय कर दिया है।
बाहर निकाले गए बहुत से लोगों ने अपने परिवार के लोगों से संक्षिप्त बातचीत भी की और उन्हें बताया कि वे सुरक्षित हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल डीजी मिश्रा ने कहा कि गंगोत्री में फंसे श्रद्धालुओं को निकालने के प्रयास जारी हैं।
उन्होंने कहा, “नागरिक प्रशासन, नागरिक हेलीकॉप्टरों और भारतीय वायुसेना की मदद से हम हर्षिल से करीब 355 लोगों को बाहर निकालकर मातली पहुंचा चुके हैं जहां से उत्तराखंड सरकार उन्हें देहरादून भेज रही है।”
उन्होंने कहा, “फिलहाल हमारा ध्यान उत्तरकाशी, हर्षिल और धराली के बीच सड़क संपर्क बनाने पर है। दूसरा, हम हर्षिल के उत्तर में रह रहे ग्रामीणों के लिए मोबाइल कनेक्टिविटी और बिजली उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं जो तात्कालिक जरूरत है।”
लेफ्टिनेंट जन मिश्रा ने कहा कि सेना ने मेडिकल का सामान पहुंचा दिया है।
उन्होंने कहा, “इस घटना से प्रभावित हुए सभी लोगों को मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।”
धराली में लगे मलबे के ढेर में लापता लोगों की तलाश के लिए जरूरी उन्नत उपकरणों को हेलीकॉप्टरों के जरिए मौके पर पहुंचाया जा रहा है।
सेना के दो चिनूक एवं दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के अलावा उत्तराखंड नागरिक उडडयन विकास प्राधिकरण के आठ हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया जा रहा है।
मलबे में कुछ ढूंढना एक कठिन कार्य है क्योंकि कई स्थानों पर मलबे के ढेर 50-60 फुट तक ऊंचे हैं।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि विभिन्न जगहों पर सड़कें टूटी होने के कारण फंसे लोगों को बाहर निकालने तथा प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री तथा अन्य जरूरी चीजें पहुंचाने के लिए हवाई मार्ग का सहारा लेने पर ही जोर है।
धामी धराली गांव भी पहुंचे और वहां स्थानीय लोगों तथा एनडीआरएफ कर्मियों से मुलाकात भी की।
इससे पहले दिन में उन्होंने आईटीबीपी, एनडीआरएफ और उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशकों समेत अन्रू अधिकारियों से मुलाकात की तथा उनसे बचाव और राहत कार्यों के बारे में जानकारी ली।
धामी ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि अधिकारियों को सड़क, संचार और बिजली की बहाली के साथ-साथ खाद्यान्न आपूर्ति के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने उत्तरकाशी में चलाए जा रहे बचाव और राहत कार्यों में अपना एक माह का वेतन देने की भी घोषणा की। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, स्वयं सेवी संस्थाओं और आम नागरिकों से आपदा ग्रस्त क्षेत्र में जारी राहत कार्यों के लिए अपना योगदान देने की अपील भी की।
भाषा दीप्ति