बंगाल में महिला सुरक्षा पहले जैसी,पर आरजी कर से जुड़ी घटना के खिलाफ प्रदर्शन से लाभ हुए:आंदोलनकारी
यासिर संतोष
- 09 Aug 2025, 03:18 PM
- Updated: 03:18 PM
(सौगत मुखोपाध्याय)
कोलकाता, नौ अगस्त (भाषा) पिछले साल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय स्नातकोत्तर महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ कथित रूप से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की घटना ने बंगाल की अंतरात्मा को झकझोर दिया है, इसके बाद विरोध प्रदर्शन हुए। लेकिन इन सब के बावजूद 19वीं सदी की यह फ्रांसीसी कहावत काफी हद तक विश्वसनीय लग सकती है कि ‘‘चीजें चाहे जितनी बदल जाएं, जमीनी हकीकत अक्सर पहले जैसी ही बनी रहती है।’’
सामाजिक विज्ञान शोधार्थी व सामाजिक कार्यकर्ता रिमझिम सिन्हा ने पिछले वर्ष अगस्त में ‘रिक्लेम द नाइट’ जन आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, ‘‘अब भी ऐसे कोई ठोस उपाय नहीं हैं, जो हमें रात में शहर के सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के रूप में सुरक्षित महसूस कराए।’’
इस आंदोलन के तहत लाखों लोग आरजी कर अस्पताल की पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए अपने घरों से बाहर निकले थे।
सिन्हा ने पिछले साल 14 अगस्त की मध्य रात्रि में आंदोलनकारियों के सड़कों पर उतरने के कुछ ही घंटों के भीतर राज्य सरकार द्वारा किए गए वादों के ‘खोखलेपन’ की आलोचना की।
राज्य सरकार ने रात में ड्यूटी पर तैनात महिला स्वयंसेवकों ‘रत्तिरर साथी’ (रात्रि साथी) की तैनाती, सीसीटीवी के साथ महिलाओं के लिए सुरक्षित क्षेत्र और कामकाजी महिलाओं के लिए अलार्म तंत्र के साथ एक विशेष मोबाइल ऐप शुरु करने के वादे किए थे।
सिन्हा ने दावा किया, ‘‘पिछले एक साल में मुझे रात में सड़क पर कभी भी कोई ‘रात्रि साथी’ स्वयंसेवक नहीं मिला..।’’
सिन्हा ने लैंगिक न्याय के लिए हुए आंदोलनों पर ममता बनर्जी सरकार की प्रारंभिक प्रतिक्रिया का उल्लेख किया, जिसमें सरकार ने सिफारिश की थी कि जहां तक संभव हो, कामकाजी महिलाओं को रात्रि ड्यूटी से मुक्त रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक मिथक है कि महिलाओं पर घर के बाहर अजनबियों द्वारा हमला किया जाता है। आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि यौन उत्पीड़न के अधिकांश मामले परिचित लोगों द्वारा और घरों में ही किए जाते हैं, चाहे वह घरेलू हिंसा हो या वैवाहिक बलात्कार।’’
लेकिन आरजी कर अस्पताल में हुए अपराध के बाद सब कुछ निराशाजनक नहीं है। सिन्हा को लगता है कि बंगाल भर की महिलाएं अब अपनी आवाज़ उठाने में झिझक को दूर करने में ज्यादा आजाद हैं, जिसका रास्ता ‘रिक्लेम द नाइट’ आंदोलन ने तैयार किया है।
राज्य के चिकित्सा समुदाय के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले और आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के मद्देनजर 42 दिनों तक ‘काम बंद करो’ हड़ताल करने वाले ‘जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ के नेताओं ने कहा कि हालांकि कुछ प्रमुख मांगें अब भी पूरी नहीं हुई हैं, लेकिन विरोध प्रदर्शनों से महत्वपूर्ण लाभ हुआ है।
फ्रंट के नेताओं में से एक अनिकेत महाता ने कहा, ‘‘प्रतिरोध ने यह सुनिश्चित किया कि लापरवाही बरतने पर ऊंचे पदों पर आसीन लोगों को सजा मिलेगी।’’
चिकित्सक वर्तमान में जेल में बंद आरजी. कर के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को हटाए जाने तथा अपराध के बाद कॉलेज के शीर्ष अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग के डी.एम.ई. और डी.एच.एस. जैसे अधिकारियों तथा तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल और उपायुक्त (उत्तर) के स्थानांतरण का उल्लेख कर रहे थे।
भाषा यासिर