जनसंघ के नेताओं ने मंड आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया था : शरद पवार
धीरज माधव
- 09 Aug 2025, 08:25 PM
- Updated: 08:25 PM
(तस्वीरों के साथ)
नागपुर, नौ अगस्त (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को आरोप लगाया कि लालकृष्ण आडवाणी सहित भाजपा के पूर्ववर्ती जनसंघ के नेताओं ने पिछड़े वर्गों और ओबीसी के कल्याण के उद्देश्य से मंडल आयोग द्वारा की गई सिफारिशों का विरोध किया था।
पवार ने दावा किया कि उनके नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने तब यह सुनिश्चित किया कि आयोग द्वारा की गई सिफारिशों को अन्य राज्यों के विपरीत, बिना किसी हिंसा के लागू किया जाए।
पवार ने यह बयान राकांपा(एसपी) की राज्यव्यापी मंडल यात्रा को हरी झंडी दिखाने के बाद नागपुर में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए दिया। इस यात्रा का उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए पवार के योगदान के बारे में जनता के बीच जागरूकता फैलाना है।
राकांपा (एसपी) की यह यात्रा पहले चरण में विदर्भ क्षेत्र के 11 जिलों से होकर गुजरेगी।
पवार ने कहा, ‘‘तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने का फैसला किया था। हालांकि, लालकृष्ण आडवाणी समेत जनसंघ के नेताओं ने इसकी सिफ़ारिशों का विरोध किया। जल्द ही हिंसा भड़क उठी और कई जगहों पर पिछड़े समुदायों के लोगों पर हमले हुए।’’
आयोग की प्रमुख सिफारिशों में से एक यह था कि सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण उन लोगों को दिया जाए जो मेधा सूची में नहीं आ पाते।
तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह द्वारा संसद में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने की घोषणा किये जाने के बाद उत्तरी और पश्चिमी भारत में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। माना जाता है कि रिपोर्ट के लागू होने के बाद उत्तर भारत की राजनीति में मूलभूत बदलाव आया।
पवार ने कहा, ‘‘सौभाग्य से, मैं उस समय महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री था। हमने मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई और आयोग के सुझावों पर विस्तार से चर्चा की। हमने तय किया कि अगर इन सिफारिशों से पिछड़े वर्गों और ओबीसी के लोगों को फायदा होगा, तो हम इन्हें लागू करेंगे।’’
राकांपा(एसपी) अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कुछ लोगों ने मुझे सिफ़ारिशों को लागू करने के खिलाफ आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि मैं सत्ता खो सकता हूं, लेकिन मैं अपनी बात पर अड़ा रहा। मैंने उनसे कहा कि सरकार का भविष्य चाहे जो भी हो, रिपोर्ट लागू की जाएगी। सत्ता जाने के बाद भी हम ओबीसी को न्याय दिलाने के लिए अपना राजनीतिक रुख नहीं बदलेंगे।’’
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों ने मजबूत नेतृत्व और समाज सुधारकों की परंपरा के कारण सिफारिशों का स्वागत किया।
पवार ने कहा, ‘‘शाहू महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने सामाजिक परिवर्तन का सपना देखा था। मंडल आयोग की सिफारिशों में उनका सपना साकार हुआ।’’
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने दावा किया कि 35 साल बाद भी ओबीसी को पूरा न्याय नहीं मिला है और वे शिक्षा तथा अन्य क्षेत्रों में पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि मंडल यात्रा का मुख्य उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन लाना है।
पवार ने याद किया कि कैसे तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने यवतमाल में कर्ज और अन्य कारणों से आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों से मुलाकात के तीन दिन के भीतर 70,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफ कर दिए थे।
पवार मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री थे। उन्होंने कहा, ‘‘आज किसान संकट में हैं क्योंकि उन्हें कपास, सोयाबीन और अन्य फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। बेमौसम बारिश और अन्य प्राकृतिक कारणों से भी उनकी फसलें खराब हो गई हैं। ऐसे में सरकार को किसानों का पुरजोर समर्थन करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि उद्योगपतियों के हजारों करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए गए, लेकिन केंद्र को गरीब किसानों की कोई चिंता नहीं है।
भाषा धीरज