आरजी कर मामला : न्याय के लिए ‘नबान्न’ तक मार्च के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई
आशीष माधव
- 09 Aug 2025, 10:20 PM
- Updated: 10:20 PM
(फोटो के साथ)
कोलकाता, नौ अगस्त (भाषा) सरकारी आरजी कर अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की घटना की बरसी पर मार्च के दौरान कोलकाता और निकटवर्ती हावड़ा की सड़कों पर शनिवार को अराजकता का माहौल रहा। पुलिस की कार्रवाई में घायल हुईं पीड़िता की मां को सिर में चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर राज्य सचिवालय तक 'नबान्न चलो अभियान' के दौरान पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच भिड़ंत कई चरणों में और कई स्थानों पर हुई। कोलकाता और हावड़ा में प्रदर्शनकारियों के कम से कम तीन रैलियां निकलीं। इस दौरान पुलिस ने व्यापक व्यवस्था की थी, जिसमें प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 10 फुट ऊंचे लोहे के अवरोधक लगाए गए थे।
हिंसा और अराजकता के ये दृश्य रक्षाबंधन के दिन देखने को मिले।
दक्षिण कोलकाता में हाजरा क्रॉसिंग पर, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास से कुछ सौ मीटर की दूरी पर है, एक अलग प्रदर्शन में, मंच पर दो शोक संतप्त माताएं न्याय की मांग करते हुए एकजुट हुईं।
जून में नदिया जिले के कालीगंज में उपचुनाव परिणामों के बाद तृणमूल कांग्रेस के जश्न के दौरान फेंके गए बम की चपेट में आने से मारी गई 13 वर्षीय तमन्ना खातून की मां कई संगठनों द्वारा आयोजित प्रदर्शन में शामिल हुईं।
तमन्ना की शोकाकुल मां सबीना ने कहा, "मैं यहां विरोध रैली का हिस्सा बनने आई हूं, क्योंकि एक मां होने के नाते मैं उस मां का दर्द महसूस कर सकती हूं, जिसे अभी तक न्याय नहीं मिला है, जिसकी बेटी की भी मेरी बेटी की तरह ही निर्मम हत्या कर दी गई।"
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अभया की तरह मेरी बेटी के असली हत्यारे भी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।’’
‘नबान्न’ तक मार्च का आह्वान महिला डॉक्टर के माता-पिता ने किया था, जिन्होंने नागरिकों से "न्याय" के लिए उनके साथ शामिल होने का आग्रह किया था।
इस आह्वान पर विभिन्न क्षेत्रों के लोग हजारों की संख्या में मार्च में शामिल हुए, वहीं राज्य के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी भाजपा नेताओं और विधायकों के साथ रैली में भाग लिया।
रैली में शामिल लोग हाथों में तिरंगा और "अभया के लिए न्याय" की मांग वाले पोस्टर लिए हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की भी मांग की।
मीडिया का एक वर्ग आरजी कर पीड़िता को 'अभया' कह रहा है। उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के अनुसार बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करना प्रतिबंधित है।
आरजी कर अस्पताल की पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि ‘नबान्न’ तक मार्च में शामिल होने के लिए जाते समय महिला पुलिसकर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। यह घटना तब हुई जब कोलकाता पुलिस ने मध्य कोलकाता के पार्क स्ट्रीट चौराहे पर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया ताकि भीड़ को तितर-बितर किया जा सके। भीड़ अवरोधक को तोड़कर सचिवालय पहुंचने के लिए विद्यासागर सेतु की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही थी।
पीड़िता के माता-पिता दोनों को बाद में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि पीड़िता की मां के माथे, हाथ और पीठ पर चोटें आईं हैं और आंतरिक तथा बाहरी चोटों की गंभीरता का आकलन करने के लिए उनका सीटी स्कैन और अन्य नैदानिक परीक्षण किया गया।
लाठीचार्ज के बाद पीड़िता की मां ने आरोप लगाया, "पुलिस ने मुझे धक्का देकर ज़मीन पर गिरा दिया। धक्कामुक्की में मेरा शंखा (पारंपरिक शंखा चूड़ी) तोड़ दिया और मेरे माथे पर मारा।"
हालांकि, पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता पर किसी भी तरह के बल प्रयोग से इनकार किया है।
उपायुक्त (पोर्ट) हरिकृष्ण पई ने संवाददाताओं से कहा, "हमें पार्क स्ट्रीट चौराहे पर पुलिस द्वारा पीड़िता के माता-पिता की पिटाई की कोई जानकारी नहीं है। पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता के साथ कोई बदसलूकी नहीं की। लेकिन उनके आरोपों की उचित जांच की जाएगी।"
पुलिस की कार्रवाई से विचलित हुए बिना, पीड़िता के माता-पिता विद्यासागर सेतु के नीचे हेस्टिंग्स तक चले गए, जहां उन्हें फिर से रोक दिया गया। पीड़िता की मां ने कहा ‘‘वे हमें इस तरह क्यों रोक रहे हैं? हम तो बस ‘नबान्न’ तक पहुंचना चाहते हैं और अपनी बेटी के लिए न्याय मांगना चाहते हैं।’’
प्रदर्शनकारियों ने "महिलाओं की सुरक्षा करने में नाकामी’’ के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की।
पीड़िता की मां ने कहा, "आप इतनी अमानवीय क्यों हैं? आप हमसे क्यों डरती हैं? हम निहत्थे हैं।"
पीड़िता की मां ने कहा कि वह तब तक नहीं रुकेगी जब तक वह अपनी बेटी के लिए न्याय मांगने के लिए मुख्यमंत्री से नहीं मिल लेती।
पीड़िता के पिता ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने परिवार को शांतिपूर्ण रैली के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय की अनुमति के बावजूद मार्च में शामिल होने के लिए डोरीना क्रॉसिंग तक पहुंचने से रोकने की कोशिश की।
पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया, "जब से हम घर से निकले थे, पुलिस हमारा पीछा कर रही थी। सिंथी क्रॉसिंग पर, जब हम कोलकाता पुलिस के क्षेत्र में दाखिल हुए, पुलिस ने हमारे वाहन की तस्वीरें लीं और उन्हें शहर के अन्य अधिकारियों को भेज दिया ताकि हमें रोका जा सके।’’
पार्क स्ट्रीट में हंगामे के बाद, शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा के अन्य नेताओं के साथ पुलिस अवरोधक के सामने तीन घंटे तक धरना दिया। अधिकारी ने आरोप लगाया कि पुलिस कार्रवाई में उनके और अन्य भाजपा नेताओं सहित 100 से ज़्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए, जिनमें से कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कथित कार्रवाई का एक वीडियो क्लिप दिखाते हुए, अधिकारी ने कहा, "हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर ज्यादती में शामिल पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा और अन्य अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।"
दूसरी ओर, कोलकाता पुलिस ने कहा कि वह रैली के दौरान पुलिसकर्मियों को कथित रूप से धमकाने और उन पर हमला करने के लिए भाजपा विधायक और पूर्व क्रिकेटर अशोक डिंडा के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज कर सकती है।
एक अधिकारी ने कहा, "इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि रैली के लिए उच्च न्यायालय की शर्तों का उल्लंघन किया गया था।"
हुगली नदी के पश्चिमी तट पर भी हंगामे के दृश्य देखे गए, जब संतरागाछी और हावड़ा मैदान में पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़ने की कोशिश की।
पुलिस लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रदर्शनकारियों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उच्च न्यायालय के फैसले का पालन करने का आग्रह कर रही थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों को 10 फुट ऊंचे अवरोधकों को तोड़ने की कोशिश करते हुए देखा गया।
तृणमूल कांग्रेस मीडिया सेल प्रमुख देबांशु भट्टाचार्य ने कहा, "भाजपा यही तो चाहती थी...सड़कों पर अराजकता फैलाना और जब पुलिस कार्रवाई करे तो पीड़िता के माता-पिता को इसमें शामिल करना। मुझे पीड़िता के माता-पिता के लिए दुख है जो भाजपा की संकीर्ण और गंदी राजनीति में फंस गए।"
मंत्री शशि पांजा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने रक्षाबंधन के दिन नागरिकों को डराने और समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की।
मध्य कोलकाता के पार्क स्ट्रीट क्षेत्र में स्थित तृणमूल की ट्रेड यूनियन शाखा, भारतीय राष्ट्रीय तृणमूल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीटीयूसी) के कार्यालय में कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई।
पार्टी की छात्र शाखा तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) ने एक बयान में कहा कि वह आईएनटीटीयूसी के साथ मिलकर 10 अगस्त को पार्क स्ट्रीट क्रॉसिंग के पास जेएल नेहरू रोड स्थित उस कार्यालय के सामने प्रदर्शन करेगी जहां तोड़फोड़ की घटना हुई।
तृणमूल प्रवक्ता त्रिनंकुर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि भाजपा की युवा शाखा के सदस्यों ने जेएल नेहरू रोड पर आईएनटीटीयूसी कार्यालय के अंदर नारेबाजी करते हुए तोड़फोड़ की।
भट्टाचार्य ने कहा, "उन्होंने बिना किसी उकसावे के हमला किया। हमारे कार्यकर्ताओं ने जवाबी कार्रवाई नहीं की। पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा दी गई है।" उन्होंने कहा, "हम कल ठीक उसी समय रक्षाबंधन मनाएंगे जब दोपहर के आसपास तोड़फोड़ हुई थी।’’
भाजपा नेता सजल घोष ने कथित घटना में अपनी पार्टी के सदस्यों की संलिप्तता से इनकार किया।
शुभेंदु अधिकारी द्वारा आर जी कर बलात्कार-हत्या पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर आयोजित ‘नबान्न’ अभियान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के बारे में केवल दिखावटी बातें कर रही है।
भाजपा का नाम लिए बिना, तृणमूल कांग्रेस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि जो लोग चुनिंदा आक्रोश से लाभ उठाते हैं, वे "महिलाओं की सुरक्षा को सिर्फ एक और राजनीतिक सहारा मानते हैं।"
पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा अपराजिता बलात्कार विरोधी विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किए जाने की याद दिलाते हुए तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने छोटी-मोटी आपत्तियां उठाकर इसे वापस कर दिया।
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने नौ अगस्त, 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के लगभग एक महीने बाद अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया था।
राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने विधेयक को राज्य सरकार के पास विचार के लिए वापस भेज दिया था, क्योंकि केंद्र ने गंभीर आपत्ति जताते हुए भारतीय न्याय संहिता में प्रस्तावित बदलावों के मद्देनजर विधेयक में बदलावों के लिए कहा था।
भाषा आशीष