सहारनपुर के किसान ने तैयार की आम की ‘सदाबहार’ किस्म, पूरे साल देता है फल
सं आनन्द खारी सुरभि
- 10 Aug 2025, 08:39 AM
- Updated: 08:39 AM
सहारनपुर (उप्र), 10 अगस्त (भाषा) सहारनपुर जिले के कोतवाली देहात क्षेत्र के चुनैहटी इलाके के प्रगतिशील किसान राजेन्द्र अटल ने ‘सदाबहार’ नाम का आम का एक ऐसा वृक्ष तैयार किया है, जो वर्ष भर फल देता है।
सहारनपुर जिले में आम की कई किस्में मशहूर हैं, लेकिन इनमें एक ‘सदाबहार’ नामक आम यहां के किसान राजेन्द्र अटल ने तैयार किया है, जिसमें एक साथ बौर, छोटा आम, बड़ा आम और सबसे बड़ा आम एक समय में तैयार होता है।
अटल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सदाबहार आम के पेड़ की ऊंचाई पांच फुट है। इसकी विशेषता यह है कि यह ज्यादा जगह नहीं लेता और साल में चार से पांच बार आम की फसल मिलती है, जो मुनाफे के लिहाज से बहुत उपयुक्त है।
राजेन्द्र अटल ने अपने बगीचे को ‘प्रकृति कुंज’ का नाम दिया है और ‘सदाबहार’ आम उनके ‘प्रकृति कुंज’ की शोभा है।
‘सदाबहार’ आम की कई विशेषताएं हैं। यह अपने छोटे से आकार में आम की बौर, अम्बी साइज का आम, उससे बड़ा आम और परिपूर्ण आम (जिसे पकने पर तोड़ा जा सकता है) के साथ नजर आता है। इसके साथ ही इसी पेड़ पर लंगड़ा आम के आकार का बड़ा आम भी मौजूद है।
अटल ने बताया कि ‘सदाबहार’ आम से किसान अपनी आमद को चार गुना कर सकता है। किसान जो आम की फसल अब तक लगाते रहे हैं, उसमें उन्हें केवल एक बार ही फसल का लाभ मिलता है, लेकिन ‘सदाबहार’ आम का उत्पादन करके वही किसान चार बार फसल ले सकता है।
अटल ने इस ‘सदाबहार’ आम की पौध के सम्बध में बताया कि यह एक बहुआयामी किस्म है, जिसमें एक साथ बौर, छोटा आम, बड़ा आम और सबसे बड़ा आम एक समय में तैयार होता है।
उन्होंने कहा कि पूरे वर्ष ‘सदाबहार’ पेड़ पर यही दृश्य रहता है और पूरे साल इस पर फल लगा रहता है। इस पेड़ के आम का स्वाद भी अलग है और इसकी महक मिठास और खूबसूरती इसे दूर से ही आकर्षित करती है। उन्होंने बताया कि आम के पेड़ की कीमत मात्र 200 रुपये रखी गई है और इसे तैयार हुए ढाई वर्ष हो गये हैं।
अटल ने बताया कि वह पिछले साल इस पेड़ की चार फसलों का उत्पादन कर चुके हैं और इस बार भी यह क्रम उसी तरह से जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग अपने घरों के बाहर बनी क्यारी में इस पेड़ को लगाना चाहते हैं, वे आसानी से इस ‘सदाबहार’ आम के पेड़ को अपनी क्यारी में लगाकर वर्ष भर आम की फसल ले सकते हैं।
भाषा सं आनन्द खारी