क्या लोग सिर्फ विकास से खुश रह सकते हैं: सोनम वांगचुक ने लद्दाख की मुख्य मांगों पर कहा
सुरभि नेत्रपाल
- 10 Aug 2025, 10:37 AM
- Updated: 10:37 AM
नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग पर जोर देते हुए कहा कि लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से वहां तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है, लेकिन अगर लोगों की आवाज नहीं सुनी जाती तो वे केवल विकास से खुश नहीं हो सकते।
‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में ‘रमन मैग्सायसाय’ पुरस्कार विजेता ने कहा कि स्थानीय लोग बताते हैं कि सीमा के दूसरी ओर चीन में भी ‘विकास’ हो रहा है, लेकिन तिब्बत के लोग खुश नहीं हैं।
यह ऐसे समय में हुआ है जब शनिवार को कारगिल में लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर तीन दिवसीय अनशन की शुरुआत हुई।
दुनिया में सबसे ऊंचाई पर बसे इलाकों में से एक लद्दाख में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद आए बदलावों के बारे में पूछे जाने पर वांगचुक ने कहा कि लोग इस बात से सहमत हैं कि सड़कों के विकास की गति तेज हुई है और बजट भी कई गुना बढ़ गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं तथ्यों को ज्यों का त्यों बताना चाहूंगा... लद्दाख के लोग कहते हैं कि वे (लद्दाख में) विकास के मामले में फर्क देख सकते हैं, सड़कें बनी हैं...।’’
वांगचुक ने यह भी कहा, ‘‘हालांकि, विकास चीन में भी हो रहा है... लेकिन क्या तिब्बत के लोग खुश हैं? नहीं, क्योंकि वह विकास न तो उनके हाथ में है और न ही उनके लिए किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या लद्दाख में भी यही दोहराया जा रहा है? अगर ऐसा है, तो यह सोने का पिंजरा होगा। ऐसा कोई मंच नहीं है जहां लोग एक साथ आकर तय कर सकें कि वे किस तरह का विकास चाहते हैं। यह किसी और का विकास होगा, (और) यही लद्दाख के लोगों की समस्या है।’’
लद्दाख की पूर्वी सीमा पूर्व में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से लगती है और लेह क्षेत्र तिब्बत के साथ मजबूत सांस्कृतिक एवं धार्मिक संबंध रखता है।
लद्दाख के दोनों क्षेत्रों में असंतोष पनप रहा है क्योंकि गृह मंत्रालय द्वारा लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के प्रतिनिधियों के साथ की जा रही बातचीत अटकी हुई प्रतीत होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बातचीत फिर शुरू नहीं हुई; इसे स्थगित कर दिया गया... यह 15 जुलाई को होनी थी, फिर 25 जुलाई को, फिर 28 जुलाई को... इसलिए, लोग अपना दर्द बयां करने के लिए फिर से आंदोलन शुरू करना चाहते थे।’’
कारगिल में शनिवार से शुरू हुआ अनशन 11 अगस्त को एक जनसभा के साथ समाप्त होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी वर्गों के लोग आएंगे और सरकार से अपील करेंगे कि वह लोगों की मांगों को सुने और इन समस्याओं का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करे, क्योंकि किसी भी सीमावर्ती क्षेत्र में अस्थिरता का होना अच्छा नहीं है।’’
भाषा सुरभि