राहुल से शपथ पत्र मांगना निर्वाचन आयोग की मूर्खतापूर्ण मांग : गहलोत
कुंज नोमान
- 10 Aug 2025, 05:51 PM
- Updated: 05:51 PM
जयपुर, 10 अगस्त (भाषा) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोप के बाद उनसे शपथ पत्र देने की निर्वाचन आयोग की मांग को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को मूर्खतापूर्ण बताया।
निर्वाचन आयोग ने शनिवार को एक बार फिर लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी से कहा कि या तो वह अपने दावों के समर्थन में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर ‘‘फर्जी’’ आरोप लगाने के लिए देश से माफी मांगें।
इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गहलोत ने ‘एक्स’ पर कहा कि राहुल गांधी ने सारे सबूत जनता के सामने रखकर निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची में की जा रही ‘‘वोट चोरी’’ को उजागर किया है और इस पर पूरे देश को भरोसा है।
उन्होंने कहा, “निर्वाचन आयोग द्वारा शपथ पत्र देने की मांग एक दम बेहूदा तथा अपनी इज्जत बचाने का प्रयास लगती है।’’
गहलोत ने कहा ‘‘राजग सरकार के दौरान ही 2018 में मुख्य चुनाव आयुक्त रहे ओपी रावत ने कहा है कि जब वह चुनाव आयुक्त थे तब कोई वरिष्ठ नेता आरोप लगाता था तो निर्वाचन आयोग स्वत: उसकी जांच कर जनता के सामने तथ्य प्रस्तुत करता था जिससे जनता का निर्वाचन आयोग में विश्वास बना रहे।’’
उन्होंने कहा कि पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी एवं स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई नेताओं ने विपक्ष में रहते हुए निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाए थे। कांग्रेस नेता ने पूछा कि इनमें से कितने नेताओं के शपथ पत्र निर्वाचन आयोग में जमा हैं?
गहलोत ने कहा ‘‘जो खुलासा राहुल गांधी ने किया है वो यदि किसी खोजी पत्रकार या मीडिया संस्थान ने किया होता तो क्या निर्वाचन आयोग उन आरोपों की निष्पक्ष जांच करता या उनसे शपथ पत्र मांगता?
उन्होंने कहा “उत्तर कोरिया, चीन और रूस जैसे देशों में जहां एक पार्टी का ही शासन है, वहां भी निर्वाचन आयोग चुनाव करवाता है। उन निर्वाचन आयोगों एवं चुनाव की स्थिति कैसी है वह पूरी दुनिया जानती है। क्या ऐसा ही भारत में भी करने का प्रयास किया जा रहा है?’’
गहलोत ने कहा कि ‘वोट चोरी एक व्यक्ति, एक वोट के बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत पर हमला है।’’
उन्होंने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए साफ़-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है।
कांग्रेस नेता ने कहा ‘‘निर्वाचन आयोग से हमारी मांग साफ़ है - पारदर्शिता दिखाएं और डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक करें, ताकि जनता और राजनीतिक दल उसका खुद ऑडिट कर सकें।’’
भाषा कुंज