जम्मू-कश्मीर में नेताओं के राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने से दशकों पुराना अलगाववाद चरमराया
संतोष नरेश
- 10 Aug 2025, 06:21 PM
- Updated: 06:21 PM
(सुमीर कौल)
श्रीनगर, 10 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर के कई पूर्व अलगाववादी नेता अब सार्वजनिक रूप से अपने पुराने संबंधों से पल्ला झाड़कर भारत के प्रति निष्ठा की शपथ ले रहे हैं। यह एक ऐसा चलन है जो 1990 के दशक की शुरुआत में उनके रुख में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है, जब वे अक्सर आतंकवादियों के दबाव में सरकार से अलग हो जाते थे।
यह बदलाव इस साल की शुरुआत में शुरू हुआ जब 15 से अधिक लोगों ने भारत और उसके संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा करने के लिए शपथ पत्र जमा किए और अखबारों में सार्वजनिक विज्ञापन दिए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, ‘‘हमें पूर्व अलगाववादियों से कई आवेदन मिले हैं, और हर किसी का मूल्यांकन राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के आधार पर किया गया।’’
उन्होंने कहा कि अगर कोई अलगाववादी किसी ‘जघन्य अपराध’ में शामिल है, तो हम कानून को अपना काम करने देंगे।
संविधान के प्रति प्रतिबद्धता जताने वाले प्रमुख नेताओं में डीपीएम के मोहम्मद शफी रेशी (दिवंगत सैयद अली गिलानी के पूर्व करीबी सहयोगी) और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के अध्यक्ष शाहिद सलीम शामिल हैं।
‘जम्मू-कश्मीर साल्वेशन मूवमेंट’ के संरक्षक जफर अकबर भट की पत्नी नीलोफर अकबर भट ने सार्वजनिक रूप से अपने परिवार को अलगाववादी समूह ‘ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ (एपीएचसी) से अलग कर लिया है।
इसी तरह ‘जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट’ की अध्यक्ष फरीदा बहनजी ने भी औपचारिक रूप से खुद को और अपने संगठन को अलगाववादी समूहों से अलग कर लिया है और एक हलफनामे में कहा है कि उनका एपीएचसी या इस तरह के मंचों से कोई संबंध नहीं है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक कुलदीप खोड़ा का मानना है कि ये घटनाक्रम अलगाववादियों को घेरने की एक सुनियोजित कोशिश का नतीजा है।
खोड़ा ने कहा, ‘‘इन अलगाववादियों को अंततः पाकिस्तान की आईएसआई का ‘पिंजरे में बंद तोता’ बनने की निरर्थकता समझ में आ गई है।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘अब उन्हें सद्धबुद्धि आ गयी है और वे सीमा पार से फैलाई जा रही हिंसा और दुष्प्रचार का हिस्सा नहीं बनना चाहते।’’
सरकार ने आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों के प्रति अपनी ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति के अनुरूप, कई संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित कर दिया है, जिनमें तहरीक-ए-हुर्रियत (टीईएच), मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम समूह), जमात-ए-इस्लामी, जम्मू और कश्मीर (जेईआई) और अब्दुल गनी भट की अध्यक्षता वाली मुस्लिम कॉन्फ्रेंस शामिल हैं।
हाल ही में मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) और जम्मू एवं कश्मीर इत्तिहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) को यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था।
भाषा संतोष