‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ जंगी जहाज 26 अगस्त को नौसेना में शामिल किए जाएंगे
पारुल संतोष
- 10 Aug 2025, 08:26 PM
- Updated: 08:26 PM
नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) भारतीय नौसेना के ‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ जंगी जहाजों का 26 अगस्त को विशाखापत्तनम में एक साथ जलावतरण किया जाएगा। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ प्रोजेक्ट-17ए के तहत भारतीय नौसेना के लिए निर्मित किए जा रहे उन्नत जंगी जहाजों की एक शृंखला का हिस्सा हैं।
प्रोजेक्ट-17ए (नीलगिरि श्रेणी) के तहत निर्मित पहले जहाज ‘नीलगिरि’ को जनवरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित कार्यक्रम में नौसेना के सुपुर्द किया था।
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्मित दूसरा युद्धपोत उदयगिरि एक जुलाई को नौसेना को सौंप दिया गया था।
नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय नौसेना 26 अगस्त को अग्रिम पंक्ति के दो युद्धपोतों-‘उदयगिरि’ (एफ35) और ‘हिमगिरि’ (एफ34) को एक साथ नौसेना में शामिल करने की तैयारी कर रही है।
प्रवक्ता के मुताबिक, “यह पहली बार होगा कि दो प्रतिष्ठित भारतीय शिपयार्ड के दो प्रमुख लड़ाकू जहाजों का एक ही समय में विशाखापत्तनम में जलावरण किया जाएगा।”
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये बहु-मिशन जंगी जहाज भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में “पारंपरिक और गैर-पारंपरिक, दोनों तरह के खतरों से निपटने में योगदान देने में सक्षम हैं।”
प्रोजेक्ट 17ए के तहत विकिसत युद्धपोत मौजूदा समय में सेवारत शिवालिक श्रेणी (प्रोजेक्ट 17) के जंगी जहाजों की जगह लेंगे।
इसके तहत बनाए जाने वाले सात जंगी जहाजों में से चार की आपूर्ति मुंबई एमडीएल करेगी, जबकि बाकी तीन कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) उपलब्ध कराएगी।
‘हिमगिरि’ जीआरएसई द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट-17ए का पहला जंगी जहाज है।
अधिकारियों ने बताया कि यह उपलब्धि भारत में नौसेना के तेजी से बढ़ते आधुनिकीकरण और विभिन्न शिपयार्ड से अत्याधुनिक युद्धपोतों की आपूर्ति करने की उसकी क्षमता को रेखांकित करती है।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल की सफलता को दर्शाती है।
अधिकारियों के अनुसार, भारतीय नौसेना के लिए एक और बड़ी उपलब्धि यह है कि ‘उदयगिरि’ नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो की ओर से डिजाइन किया गया 100वां जहाज है।
उन्होंने कहा कि ‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ पहले के डिजाइन की तुलना में एक “पीढ़ीगत छलांग” का प्रतिनिधित्व करते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि लगभग 6,700 टन भार ढोने में सक्षम प्रोजेक्ट-17ए के जंगी जहाज अपने पूर्ववर्ती शिवालिक-श्रेणी के युद्धपोतों से लगभग पांच फीसदी बड़े हैं, फिर भी इनका आकार अधिक पतला है और इनके रडार की पकड़ में आने की संभावना बेहद कम है।
उन्होंने बताया कि ये जहाज डीजल इंजन और गैस टर्बाइन का इस्तेमाल करने वाले संयुक्त डीजल और गैस (सीओडीओजी) प्रणोदन संयंत्रों से संचालित होते हैं, जो नियंत्रणयोग्य-पिच प्रणोदक में जान फूंकते हैं और एक एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली (आईपीएमएस) से प्रबंधित होते हैं।
नौसेना प्रवक्ता ने कहा, “हथियारों के बेड़े में सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी तथा 12.7 मिमी की क्लोज-इन हथियार प्रणालियां व पनडुब्बी रोधी या पानी के अंदर मार करने वाली हथियार प्रणालियां शामिल हैं।”
उन्होंने बताया कि दोनों जहाज 200 से अधिक एमएसएमई (सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्यम) वाले औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का परिणाम हैं, जो लगभग 4,000 प्रत्यक्ष नौकरियां और 10,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराता है।
प्रवक्ता के मुताबिक, ‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ का जलावतरण जहाज की डिजाइनिंग और निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने की नौसेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
उन्होंने बताया कि दोनों युद्धपोतों से 2025 में पहले कई अन्य स्वदेशी जंगी जहाजों और पनडुब्बियों का भी जलावतरण किया जा चुका है, जिनमें आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि, आईएनएस वाघशीर, एएसडब्ल्यू शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अर्नाला और डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार शामिल हैं।
प्रवक्ता के अनुसार, इन जंगी जहाजों की संरचना, मशीनरी, अग्निशमन क्षमता, क्षति नियंत्रण, नौवहन और संचार प्रणालियां कठोर समुद्री परीक्षणों की कसौटी पर खरी उतरी हैं, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि वे परिचालन तैनाती के लिए तैयार हैं।
नौसेना ने कहा कि विशाखापत्तनम में होने वाला आगामी समारोह एक नौसैनिक आयोजन से कहीं अधिक होगा; यह एक मजबूत और आत्मनिर्भर समुद्री रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की ओर भारत के बढ़ते कदम का जश्न होगा।
भाषा पारुल