प्रोफेसर रजत कांत रे ने इतिहास के छात्रों को दशकों तक प्रेरित किया
राखी पारुल
- 11 Aug 2025, 06:36 PM
- Updated: 06:36 PM
कोलकाता, 11 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में स्थित विश्वभारती केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और इतिहासकार प्रोफेसर रजत कांत रे के निधन पर शोक जताते हुए विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों ने सोमवार को उन्हें एक ऐसे शिक्षक के रूप में याद किया, जिन्होंने अपनी विद्वता और प्रभावशाली व्याख्यानों से दशकों तक छात्रों को प्रेरित किया।
प्रोफेसर रे का छह अगस्त को 79 साल की उम्र में निधन हो गया था।
प्रसार भारती के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जवाहर सरकार ने रवींद्रनाथ टैगोर की चुनिंदा कलाकृतियों को कई देशों में ले जाने में प्रोफेसर रे के योगदान को याद किया, जबकि विक्टोरिया मेमोरियल के पूर्व क्यूरेटर जयंत सेनगुप्ता ने कहा कि प्रोफेसर रे ने “ऐतिहासिक आख्यानों” को समझने के महत्व को रेखांकित किया था।
विश्व भारती के वरिष्ठ संकाय सदस्य और इतिहासकार अतीग घोष ने प्रोफेसर रे को उन सभी शिक्षकों में “सर्वश्रेष्ठ” बताया, जिनसे वे मिले हैं।
जवाहर सरकार ने कहा, “वह मुझसे छह साल वरिष्ठ थे, लेकिन विद्वता और उपलब्धियों के मामले में मुझसे सदियों आगे थे। मुझे उनकी गर्मजोशी और मेरे हर हालिया लेख पर उनकी विस्तृत टिप्पणियों की कमी खलेगी। ये लेख प्रोफेसर रे की पत्नी नूपुर उन्हें पढ़कर सुनाया करती थीं।”
प्रोफेसर रे ने 1975 से 2006 तक प्रेसिडेंसी कॉलेज (अब विश्वविद्यालय) में अध्यापन कार्य किया और इतिहासकारों की कई पीढ़ियां तैयार कीं।
अतीग घोष ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, “मैं प्रेसिडेंसी कॉलेज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और विदेश में अध्ययन के दौरान कई प्रतिष्ठित शिक्षकों के संपर्क में आया, लेकिन प्रोफेसर रे मेरी नजरों में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक थे।”
विश्वभारती विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त को परिसर में प्रोफेसर रे के सम्मान में एक स्मृति सभा आयोजित करने की घोषणा की है।
प्रेसिडेंसी पूर्व छात्र संघ के उपाध्यक्ष बिवास चौधरी ने कहा कि प्रोफेसर रे को एक समारोह में ‘अतुल चंद्र गुप्ता विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार 2024’ प्राप्त हुआ था और उन्होंने खराब स्वास्थ्य के बावजूद एक शानदार भाषण दिया था।
ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से पीएचडी करने वाले प्रोफेसर रे के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं।
प्रोफेसर रे ने कई चर्चित पुस्तकें लिखी थीं, जिनमें ‘द फेल्ट कम्युनिटी : कॉमनैलिटी एंड मेंटैलिटी बिफोर द इमर्जेंस ऑफ इंडियन नेशनलिज्म’ और ‘सोशल कॉन्फ्लिक्ट एंड पॉलिटिकल अनरेस्ट इन बंगाल 1875–1927’ शामिल हैं।
भाषा राखी