हैदराबाद में फर्जी ‘सरोगेसी’ और बाल तस्करी गिरोह संचालित करने के आरोप में 25 लोग गिरफ्तार
धीरज दिलीप
- 12 Aug 2025, 07:12 PM
- Updated: 07:12 PM
हैदराबाद, 12 अगस्त (भाषा) तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पिछले महीने फर्जी ‘सरोगेसी’ (किराए की कोख) और बाल तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ करने के बाद अबतक चिकित्सकों सहित 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
गोपालपुरम पुलिस थाना में 27 जुलाई को दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर, मुख्य आरोपी चिकित्सक और एक फर्टिलिटी क्लीनिक की मालिक डॉ. ए नम्रता और उनके सहयोगियों सहित आठ लोगों को पहले ही फर्जी ‘सरोगेसी’ दावों के साथ एक जोड़े को ‘धोखा’ देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक शिकायत की जांच से धोखाधड़ी के एक व्यापक नेटवर्क का खुलासा, जिसमें कई पीड़ित धोखाधड़ी, संगठित चिकित्सा धोखाधड़ी और बाल तस्करी के समान आरोपों के साथ सामने आए।
उसने बताया कि नम्रता और उसके सहयोगियों के खिलाफ आठ और आपराधिक मामले दर्ज किये गये हैं।
पुलिस उपायुक्त (उत्तरी क्षेत्र-हैदराबाद) एस रश्मि पेरुमल ने बताया कि उन पर प्रजनन सेवाओं की आड़ में संगठित आपराधिक नेटवर्क चलाने और नि:संतान दंपतियों का भावनात्मक और आर्थिक रूप से शोषण करने का आरोप है।
उन्होंने बताया कि जांच के आधार पर पुलिस ने अब तक चिकिस्तकों, लैब तकनीशियनों, प्रबंधकों, एजेंटों और तस्करी किए गए शिशुओं के (जैविक) माता-पिता सहित 25 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
हैदराबाद पुलिस की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये सभी कथित तौर पर यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी सेंटर की सिकंदराबाद और विशाखापत्तनम शाखाओं में प्रजनन उपचार की आड़ में संचालित अवैध ‘सरोगेसी’ और बच्चा बेचने के गिरोह से जुड़े थे।
पुलिस के मुताबिक, पीड़ितों ने ‘आईवीएफ’ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) उपचार और बाद में ‘सरोगेसी’ प्रक्रियाओं के लिए लाखों रुपये का भुगतान किया।
पुलिस ने आरोपियों की कार्यप्रणाली के बारे में बताया कि डॉ. नम्रता ने सिकंदराबाद, कोंडापुर, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, नेल्लोर, राजमुंदरी, भुवनेश्वर और कोलकाता में कई फर्टिलिटी क्लीनिक (प्रजनन संबंधी समस्याओं के उपचार की विशेषज्ञता होती है)स्थापित किए।
उसने शुरू में बांझपन के रोगियों का इलाज करने का दावा किया और बाद में ‘सरोगेसी’ को बढ़ावा दिया, यह आश्वासन देते हुए कि सभी कानूनी औपचारिकताएं उनके क्लीनिक द्वारा पूरी की जाएंगी।
पुलिस के मुताबिक, नि:संतान दंपति से मोटी रकम वसूलने के बाद, वह जैविक नमूने प्राप्त करती थी और फोन के जरिए गर्भावस्था की ‘प्रगति’ के बारे में नियमित जानकारी देती थी। उसने बताया कि प्रसव के दौरान, एजेंटों के एक नेटवर्क के जरिए कमज़ोर माताओं से बच्चे खरीदे जाते थे और नि:संतान दंपति को यह झूठा दावा करके सौंप दिए जाते थे कि ये उनकी अपनी जैविक संतान है।
पुलिस ने बताया कि एजेंट लड़की के लिए 3.5 लाख रुपये और लड़के के लिए 4.5 लाख रुपये का भुगतान जैविक मां को करते थे, जबकि बच्चा प्राप्त करने वाले व्यक्ति से 30-40 लाख रुपये तक की वसूली की जाती थी।
भाषा धीरज