सांसद इंजीनियर रशीद को लाने ले जाने के खर्च की गणना कैसे की: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस से पूछा
खारी सुरेश
- 12 Aug 2025, 07:26 PM
- Updated: 07:26 PM
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस से पूछा कि उसने जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर रशीद को संसद के मानसून सत्र में शामिल कराने के लिए लाने-ले जाने के खर्च की गणना कैसे की है।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने राज्य सरकार से गणना का ब्योरा देने को कहा और मामले की सुनवाई 18 अगस्त के लिए स्थगित कर दी।
उच्च न्यायालय बारामूला के सांसद की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें एक समन्वय पीठ के 25 मार्च के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया है।
इस आदेश में उन्हें हिरासत में रहते हुए संसद में उपस्थित होने के लिए जेल अधिकारियों के पास लगभग चार लाख रुपये जमा करने को कहा गया था।
दिल्ली पुलिस के वकील के पेश न होने के कारण अदालत ने सुनवाई को स्थगित कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘सुनवाई के दौरान, हमने राज्य सरकार से यह पूछा कि 26 मार्च 2025 की चिट्ठी में जो आंकड़े और गणनाएं दी गई हैं, उनका आधार क्या है। यह चिट्ठी दिल्ली सशस्त्र पुलिस के कार्यालय से तिहाड़ जेल के अधीक्षक को भेजी गई थी। हमारे सवाल का मुख्य सार यह है कि उस पत्र में दिए गए अलग-अलग आंकड़ों और गणनाओं का आधार क्या है।’’
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के वकील ने पीठ को सूचित किया कि दिल्ली पुलिस के वकील इस प्रश्न का बेहतर तरीके से उत्तर देने में सक्षम हैं, क्योंकि सांसद को संसद तक ले जाने के लिए नियुक्त बटालियन राज्य प्रशासन के अधीन है।
दूसरी ओर, रशीद के वकील ने दलील दी कि एक सांसद के लिए यह (संसद में उपस्थित होना) केवल एक विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि जनता के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘संसद में उपस्थित होना मेरा कर्तव्य है। इसे आसान बनाएं और इसमें मेरे लिए बाधा पैदा न करें।’’
न्यायमूर्ति भंभानी ने वकील से पूछा, ‘‘एक सांसद के कर्तव्य क्या हैं? पहला, संसद में उपस्थित होना, दूसरा अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करना। तो कल आप कहेंगे कि मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दी जाए। तीसरा, आपको अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों और राजनीतिक सहयोगियों से मिलने का अधिकार है। चौथा, आपको चुनाव प्रचार करने का अधिकार है। यह सब कहां रुकेगा?’’
न्यायमूर्ति चौधरी ने भी अपनी बात रखी और कहा कि रशीद न केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र का, बल्कि देश का भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और देश के मामलों पर नजर रख रहे हैं। न्यायाधीश ने पूछा कि इसलिए, क्या उन्हें पूरे देश की यात्रा करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगला कदम यह होगा कि आप देश के अन्य हिस्सों का दौरा करना चाहेंगे, तो फिर आपको पूरी स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।’’
रशीद के वकील ने कहा कि वह यह दलील नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल को केवल इस बात की चिंता है कि जब संसद सत्र चल रहा हो तो प्रत्येक निर्वाचित और मनोनीत प्रतिनिधि का कर्तव्य है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए वहां उपस्थित रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका कर्तव्य है और इसे निभाना जरूरी है। मैं अपना सार्वजनिक कर्तव्य निभाने के लिए अदालत से अनुमति मांग रहा हूं।’’
पहले यह रिकॉर्ड पर आया था कि सांसद पर संसद सत्र में शामिल होने के लिए अब तक 17 लाख रुपये का यात्रा खर्च आ चुका है।
बारामूला से सांसद रशीद ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराया था। वह जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी संगठनों को धन मुहैया कराने के आरोपों से जुड़े एक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
भाषा खारी