खाने का सामान सस्ता होने से खुदरा महंगाई जुलाई में घटकर आठ साल के निचले स्तर 1.55 प्रतिशत पर
निहारिका रमण
- 12 Aug 2025, 08:20 PM
- Updated: 08:20 PM
नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के साथ खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर आठ साल के निचले स्तर 1.55 प्रतिशत पर आ गई। यह जनवरी 2019 के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से नीचे है।
सरकार ने केंद्रीय बैंक को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी दी है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जून में 2.1 प्रतिशत और जुलाई 2024 में 3.6 प्रतिशत थी।
जुलाई 2025 की मुद्रास्फीति जून 2017 के बाद सबसे कम है। उस समय यह 1.46 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने कहा, ‘‘ जुलाई 2025 के महीने के दौरान कुल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट की मुख्य वजह अनुकूल तुलनात्मक आधार प्रभाव और दालों व उत्पादों, परिवहन व संचार, सब्जियों, अनाज व उत्पादों, शिक्षा, अंडे तथा चीनी और ‘कन्फेक्शनरी’ के सामान की कीमतों में नरमी रही।’’
खाद्य वस्तुओं की महंगाई में जुलाई में सालाना आधार पर 1.76 प्रतिशत की गिरावट आई।
ग्रामीण भारत में जुलाई में मुद्रास्फीति 1.18 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 2.05 प्रतिशत रही।
जुलाई में सबसे अधिक मुद्रास्फीति केरल में 8.89 प्रतिशत दर्ज की गई। इसके बाद बाद जम्मू-कश्मीर (3.77 प्रतिशत) और पंजाब (3.53 प्रतिशत) का स्थान रहा। सबसे कम खुदरा मुद्रास्फीति असम में (-) 0.61 प्रतिशत रही।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खाद्य कीमतों में सालाना आधार पर गिरावट के कारण खुदरा मुद्रास्फीति कम हुई है। हालांकि सब्जियों की कीमतों में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘ भविष्य में मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति में अपेक्षित तेजी, खासकर वित्त वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही में इसके चार प्रतिशत से अधिक रहने से (मौद्रिक समिति) की बैठकों में दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित हो जाएगी।’’
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने की शुरुआत प्रमुख ब्याज दर (रेपो) को 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। ऐसा माना जा रहा है अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर पूर्ण स्पष्टता और ब्याज दरों में पिछले कटौती के प्रभाव का आकलन करने के लिए केंद्रीय बैंक ने देखो और इंतजार करो की नीति की नीति अपनाई है।
आरबीआई ने फरवरी से अब तक रेपो दर में कुल मिलाकर एक प्रतिशत की कटौती की है।
आनंद राठी समूह के मुख्य अर्थशास्त्री एवं कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा कि जुलाई 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 1.55 प्रतिशत रह गई जो आठ साल में सबसे कम और हमारे पूर्वानुमानों से भी कम है। यह तीव्र गिरावट खाद्य कीमतों में भारी कमी के कारण हुई जबकि व्यापक मुद्रास्फीति भी कम रही।
उन्होंने कहा कि कीमतों में नरमी के साथ-साथ मजबूत वास्तविक वृद्धि भारत के वित्तीय बाजारों के लिए सकारात्मक बनी हुई है।
एनएसओ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल करते हुए चयनित 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से मूल्य के आंकड़े एकत्र करता है।
भाषा निहारिका