अंतरराष्ट्रीय वाम हस्त दिवस: दुनिया में तालमेल बिठाने में जद्दोजहद करते बाएं हाथ के लोग
सुरभि नरेश
- 13 Aug 2025, 02:06 PM
- Updated: 02:06 PM
(मनीष सैन)
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) अगर आप जन्म से ही बाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं तो दाएं हाथ वालों की दुनिया में दूसरे पक्ष के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल है, जहां सारी चीजें दाएं हाथ से काम करने वालों के हिसाब से तय की गई हैं।
स्कूल की मेजें दाएं हाथ वालों के लिए डिजाइन की जाती हैं। कैंची, स्पाइरल नोटपैड, ‘कैन ओपनर’ और रसोई में इस्तेमाल होने वाली करछी और सॉस पैन का सामग्री डालने वाला मुंह बाईं ओर होता है। जाहिर है, कंप्यूटर माउस के बटनों को भी बदलना पड़ता है। दाएं हाथ के लोग रोजमर्रा की बहुत सी बातों को बहुत हल्के में लेते हैं।
इन सबके साथ, सामाजिक धारणा और पूर्वाग्रह भी जुड़ जाते हैं। दरअसल, ‘‘सिनिस्टर’’ शब्द एक लैटिन शब्द से आया है जिसका अर्थ है ‘‘बाएं तरफ’’। ‘मेरियम वेबस्टर’ डिक्शनरी कहती है, ‘‘‘बाएं’ का ‘बुराई’ से जुड़ाव संभवतः इसलिए है क्योंकि आबादी में दाएं हाथ के लोगों का दबदबा है।’’
बुधवार को दुनियाभर में जब अंतरराष्ट्रीय ‘वाम-हस्त दिवस’ पर बाएं हाथ से काम करने वालों का जश्न मनाया जा रहा है, ऐसे में बाएं हाथ से काम करने वाले आयुष्मान पांडे अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि कैसे उनकी मां उन्हें बाएं हाथ से खाना खाने पर डांटती थीं और स्कूल में पंजा लड़ाने में दाहिने हाथ के प्रतिस्पर्धी से हारने पर उनका मजाक उड़ाया जाता था।
डबलिन स्थित 33 वर्षीय मीडियाकर्मी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मुझे ऐसा लगता था कि मेरे साथ कुछ गड़बड़ है कि दूसरे छात्र अपने दाहिने हाथ का इस्तेमाल कर रहे हैं और मैं गलत हाथ का इस्तेमाल कर रहा हूं।’’
अपने जीवन के 30 से ज्यादा वर्षों तक पांडे कैंची का अपनी क्षमता के अनुसार इस्तेमाल नहीं कर पाने के कारण खुद को ‘‘अक्षम’’ मानते रहे। लेकिन जब वह आयरलैंड गए और वहां उन्होंने बाएं हाथ की कैंची देखी तब उन्हें इस विसंगति का भान हुआ।
यह पांडे के लिए एक नयी दुनिया थी क्योंकि उन्होंने वहां बाएं हाथ से काम करने वालों के लिहाज से कई चीजें देखीं।
उनके जैसे ऐसे लाखों लोग हैं जो अब आत्मविश्वास से भरे हैं जिन्हें बड़े होने के दौरान भ्रम और औरों से अलग होने का एहसास कराया गया है।
‘नेशनल एंड कपोडिस्ट्रियन यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस’ की यूनानी वैज्ञानिक मैरिएटा पापाडाटो-पास्तू द्वारा ‘साइकोलॉजिकल बुलेटिन’ पत्रिका में प्रकाशित एक मेटा-विश्लेषण के अनुमान के अनुसार, दुनिया की लगभग 10 प्रतिशत आबादी यानी लगभग 80 करोड़ लोग बाएं हाथ से काम करने वाले हैं।
ऐसे कई लोग सामाजिक और अन्य तरह की चुनौतियों का सामना करते रहते हैं, जिनमें स्कूल की नियमित डेस्क पर लिखने में कठिनाई से लेकर बाएं हाथ से खाने पर सजा मिलने तक शामिल हैं। रोजमर्रा के काम, चाहे खाना खाना हो या किसी को पैसे देना, बाएं हाथ से करने पर ‘अच्छा’ नहीं माना जा सकता है।
बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वाली मशहूर हस्तियों की सूची में बराक ओबामा, बिल गेट्स, पॉल मेकार्टनी, जिमी हेंड्रिक्स, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रतन टाटा, रजनीकांत, अमिताभ बच्चन और सचिन तेंदुलकर जैसे लोग शामिल हैं। बहरहाल, बाएं हाथ वाले लोग सदियों से सामाजिक असुविधा को झेलते आए हैं, जिन्हें शैतान से सांठगांठ रखने वाला और अपवित्र व्यक्ति माना जाता है।
कृतिका शर्मा (काल्पनिक नाम) (28) का मानना है कि उन्हें सामाजिक रूप से घुलने मिलने में डर लगने लगा और सीखने में कठिनाई हुई क्योंकि उनके पिता, जो एक स्कूल शिक्षक थे, उनके हाथ के इस्तेमाल को ‘‘सुधारने’’ के लिए सख्त कदम उठाते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं बाएं हाथ से लिखती तो वह मेरी अंगुलियों पर मारते। आखिरकार मैं अपने दाहिने हाथ से लिखने में कामयाब रही, लेकिन मैं जो लिख रही थी उस पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी। मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि खराब लिखावट के लिए मुझे फिर से मारा जाएगा।’’
वरिष्ठ पारिवारिक चिकित्सक मैत्री चंद ने कहा कि माता-पिता या शिक्षकों जैसे अधिकार प्राप्त व्यक्तियों का ‘‘सुधारने वाला’’ व्यवहार बच्चों पर स्थायी और अक्सर विघटनकारी प्रभाव छोड़ सकता है।
चंद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब बच्चे का बायां हाथ ज्यादा प्रभावी हो, तब उसे दायां हाथ इस्तेमाल करने के लिए कहना बहुत भ्रामक हो सकता है क्योंकि यह उसके दिमाग के खिलाफ जाता है। यहां तक कि अगर यह धीरे से भी किया जाए, तो इसका गहरा असर हो सकता है। बच्चा बड़ा होकर ज्यादा संवेदनशील हो सकता है। बच्चा सोचता और मानता है कि उसमें कुछ गड़बड़ है।’’
दूसरी ओर, बच्चे के बाएं हाथ का उपयोग करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति पर प्रतिबंध नहीं लगाना उसके विकास के लिए लाभदायक हो सकता है।
भाषा सुरभि